पूजा के दीये की बाती कई तरह की आती हैं जैसे कि गोल, लंबी, कलावे की और धागे की बाती। हर एक बाती का उपयोग अलग-अलग रूप से किया जाता है।
गोल बाती का दीया घर में जलाने से सकारात्मकता बढ़ती है और घर
में से नकारात्मकता का स्तर कम होता है। गोल बाती का दीया ही मुख्य रूप से भगवान
के सामने रोजाना की नियमित पूजा के दौरान जलाया जाता है। घी के दीपक में गोल बत्ती
ही लगाई जाती है।
लंबी बाती का दीया हमेशा तेल से प्रज्वलित होता है। घी के दीपक में लंबी बाती को लगाना वर्जित माना गया है। असल में लंबी बाती का दीपक हमेशा पर्व के दौरान या किसी विशेष काम की पूर्ती के लिए जलाया जाता है।
कलावे की बाती का बनाया हुआ दीपक मुख्य रूप से
पेड़-पौधों की पूजा के लिए उपयोग में लाया जाता है।
लंबी बाती जो धागे से बनाई जाती है वह किसी भी रंग का हो उसका दीपक शनिवार के दिन ही जलाना चाहिए।लाल, पीले या नारंगी रंग के धागे की बाती बनाकर सरसों के तेल में दीपक जलाने से शनि देव की कृपा होती है। साढ़े साती और ढैय्या से मुक्ति मिल जाती है ।
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