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Showing posts with the label राशि रत्न

एक साथ वर्जित रत्न

 एक साथ वर्जित रत्न  सूर्य -  माणिक्य  के साथ- नीलम, हीरा/ओपल, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है। चन्द्र -  मोती  के साथ- हीरा/ओपल, पन्ना, नीलम, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है। मंगल -  मूंगा  के साथ- पन्ना, हीरा/ओपल, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है। बुध - पन्ना के साठ- पुखराज, मूंगा, मोती वर्जित है। गुरु - पुखराज के साथ- हीरा/ओपल, नीलम, गोमेद वर्जित है। शुक्र - हीरे के साथ- माणिक्य, मोती, मूंगा, पुखराज वर्जित है। शनि - नीलम के साथ- माणिक्य, मोती, पुखराज वर्जित है। राहु - गोमेद के साथ- माणिक्य, मूंगा, माणिक्य, पुखराज वर्जित है। केतु - लहसुनिया के साथ- माणिक्य, मूंगा, पुखराज, मोती वर्जित है। नोट : 1. वैसे तो, सूर्य और बुध मित्र हैं. इसलिए, ऐसा बहुत से ज्योतिषी यह कह देते हैं, कि पन्ना और माणिक्य साथ-२ पहने जा सकते हैं. पर, व्यक्ति का लग्न कोई भी हो, अगर सूर्य सहायक ग्रह होगा, तो बुध शत्रु, और अगर बुध सहायक होगा, तो सूर्य शत्रु का काम करेगा. 2. रत्न और उपाय, केवल व्यक्ति के लग्न से निर्धारित होते हैं, राशि से नहीं. हमारे विचार में, और विद्वान् ज्योतिषियों की राय ...

रत्न और उपरत्न

रत्न:-  रत्न सबसे पहले हम जान लेते हैं कि रत्न क्या है और काम क्या करता है,और कैसे काम करता है ।  रत्नों का सिर्फ काम है ताकत को बढ़ाना ।  जो भी ग्रह है उस ग्रह की ताकत, उस ग्रह के प्रभाव को बढ़ाना। अच्छे ग्रह हैं तो अच्छे ग्रह की ताकत को बढ़ाएगा और अगर कुंडली में वह ग्रह खराब स्थिति में है तो भी वह उसके प्रभाव को बढ़ाएगा। जो ग्रह हमारे कुंडली में अच्छे भाव में है अगर हम उनके रत्न पहनते हैं तो वह उसके प्रभाव को बढ़ाएगा जो हमें फायदा देगा, जो ग्रह हमारे कुंडली में नीच में है खराब है अगर उसके रत्न धारण करेंगे तो भी वह रत्न उसके प्रभाव को बढ़ाएगा और नीच ग्रह होने के कारण अशुभ होने के कारण वह ग्रह हमें परेशान करेंगे। रत्नों का काम है उसके बल, उसके प्रभाव को बढ़ाना। रत्न कमजोर ग्रह के ही धारण करने चाहिए। जो ग्रह कुंडली में शुभ हो लेकिन उसमें बल की कमी हो तो उससे संबंधित रत्न को धारण करना चाहिए। जो ग्रह कुंडली में शुभ हो और बलवान हो तो उसके रत्न को धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि बलवान ग्रह का रत्न धारण करने से वह अशुभ फल देने लगते हैं। ज्यादा बलाबल होने से वह ग्रह उत्पात करने लगत...

गोमती चक्र

 गोमती चक्र  गोमती चक्र एक पत्थर है जो गोमती नदी में मिलता है। गोमती चक्र समुन्द्र से प्राप्त एक दुर्लभ और चमत्कारी तंत्रोक्त वास्तु है जो कि मनुष्य के जीवन में आने वाली हर कठिनाई को दूर करने में सक्षम है. और जिसका उपयोग धन समृद्धि से सम्बंधित साधनाओ में अक्सर किया जाता है| परेशानी जीवन का दूसरा नाम है। मनुष्य के जीवन में आए दिन परेशानियां आती रहती है। कुछ समस्याएं तुरंत हल हो जाती हैं तो कुछ लंबे समय तक कष्ट देती हैं। कुछ साधारण तांत्रिक उपाय कर इन परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। गोमती चक्र के कुछ साधारण तांत्रिक उपाय नीचे लिखे हैं इन्हें करने से अनेक परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है।  इसका उपयोग तंत्र क्रियाओं में विशेष तौर पर किया जाता है। 1- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उन्हें एक  कपड़े में बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक  उसके  नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में  वृद्धि होती है। २- पुत्र प्राप्ति के लिए पांच गोमती चक्र लेकर  किसी नदी या तालाब में  हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुक पांच बोलकर विसर्जित करें, पुत्र...

रुद्राक्ष के महत्व, लाभ और धारण विधि

एक मुखी रुद्राक्ष इसके मुख्य ग्रह सूर्य होते हैं। इसे धारण करने से हृदय रोग, नेत्र रोग, सिर दर्द का कष्ट दूर होता है। चेतना का द्वार खुलता है, मन विकार रहित होता है और भय मुक्त रहता है। लक्ष्मी की कृपा होती है। दो मुखी रुद्राक्ष मुख्य ग्रह चन्द्र हैं यह शिव और शक्ति का प्रतीक है मनुष्य इसे धारण कर फेफड़े, गुर्दे, वायु और आंख के रोग को बचाता है। यह माता-पिता के लिए भी शुभ होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष मुख्य ग्रह मंगल, भगवान शिव त्रिनेत्र हैं। भगवती महाकाली भी त्रिनेत्रा है। यह तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना साक्षात भगवान शिव और शक्ति को धारण करना है। यह अग्रि स्वरूप है इसका धारण करना रक्तविकार, रक्तचाप, कमजोरी, मासिक धर्म, अल्सर में लाभप्रद है। आज्ञा चक्र जागरण (थर्ड आई) में इसका विशेष महत्व है। चार मुखी रुद्राक्ष चार मुखी रुद्राक्ष के मुख्य देवता ब्रह्मा हैं और यह बुधग्रह का प्रतिनिधित्व करता है इसे वैज्ञानिक, शोधकर्त्ता और चिकित्सक यदि पहनें तो उन्हें विशेष प्रगति का फल देता है। यह मानसिक रोग, बुखार, पक्षाघात, नाक की बीमारी में भी लाभप्रद है। पांच मुखी रुद्राक्ष यह साक्षात भग...