Skip to main content

Posts

Showing posts with the label धर्म कर्म

गुरुकुल

  गुरुकुल 1850 तक हमारे देश में `7 लाख 32 हजार` गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे ’7 लाख 50 हजार’ । मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल| ये जो गुरुकुल होते थे  वो सब के सब आज की भाषा में ‘Higher Learning Institute’ हुआ करते थे । उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था और ये गुरुकुल समाज के लोग मिलके चलाते थे। आइये जानते है कि  सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल मे क्या क्या पढाई होती थी!गुरुकुल के बाद ऋषिकुल में क्या पढ़ाई होती थी ये जान लेना आवश्यक है । 01 अग्नि विद्या (Metallurgy) 02 वायु विद्या (Flight) 03 जल विद्या (Navigation) 04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science) 05 पृथ्वी विद्या (Environment) 06 सूर्य विद्या (Solar Study) 07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study) 08 मेघ विद्या (Weather Forecast) 09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery) 10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy) 11 दिन रात्रि विद्या 12 सृष्टि विद्या (Space Research) 13 खगोल विद्या (Astronomy) 14 भूगोल विद्या (Geography) 15 काल विद्या (Time) 16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining) 17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals) 18 आक...

कर्म फल

  कर्म फल हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों से ही हमें इस जन्म में सगे - सम्बन्धी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते हैं , सब मिलते हैं । क्योंकि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है या इनसे कुछ लेना होता है ।   सन्तान के रुप में कौन आता है ?   वेसे ही सन्तान के रुप में हमारा कोई पूर्वजन्म का ' सम्बन्धी ' ही आकर जन्म लेता है । जिसे शास्त्रों में चार प्रकार से बताया गया है --     * ऋणानुबन्ध   : पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट किया हो , वह आपके घर में सन्तान बनकर जन्म लेगा और आपका धन बीमारी में या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा , जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो जाये ।   * शत्रु पुत्र   : पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला लेने के लिये आपके घर में सन्तान बनकर आयेगा और बड़ा होने पर माता - पिता से मारपीट , झगड़ा या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा । हमेशा कड़वा बोलकर उनकी बेइज्जती करेगा व उन्हें दुःखी रखकर खुश होगा। * उदासीन पुत्र   : इस प्रकार की सन्तान ना तो ...

हिंदू धर्म : कौन और क्या

अगर आप घर पर सपरिवार के साथ हैं तो अपने बेटे एवं बेटी को अपने पोते एवं पोती को यह सब सिखाएं क्योंकि उन्हें हिंदू धर्म के विषय में ज्ञान होगा ×××××××× ×××× दो लिंग : नर और नारी । दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)। दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन। xxxxxxxxxx 02 xxxxxxxxxx तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर। तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी। तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल। तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण। तीन स्थिति : ठोस, द्रव, गैस । तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत। तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा। तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव। तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी। तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान। तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना। तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं। तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति। xxxxxxxxxx 03 xxxxxxxxxx चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका। चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार। चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। चार निति : साम, दाम, दंड, भेद। चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वे...