Skip to main content

Posts

Showing posts with the label पर्व-त्यौहार

होली में ना करें यो काम

 

तो इस तरह करे दीपावली पूजा

दिवाली वाले दिन क्रमशः देवी लक्ष्मी,  रिद्धि सिद्धि के दाता  भगवान  गणेश ,    माता सरस्वती, माता  लक्ष्मी के सचिव कुबेर जी  कुबेर, एवं माता लक्ष्मी के प्रिय श्री हरि   और राम दरबार  की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि दिवाली वाले दिन यानी कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ धरती पर आती हैं और अपने भक्तों की झोलियां भरती हैं। इस दिन लोग अपने धन और कीमती वस्तुओं जैसे सोने-चांदी की भी पूजा करते हैं।  दिवाली पूजन सामग्री :- लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा, सरस्वती जी की प्रतिमा, कमल व गुलाब के फूल, पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, मिठाई, फूल, दूध, गंगाजल, इत्र, खील, बताशे, मेवे, शहद, दही, दीपक, रुई , कलावा, पानी वाला जटाधारी नारियल, तांबे का कलश, स्टील या चांदी का कलश, चांदी का सिक्का, आटा, तेल, लौंग, लाल या पीला कपड़ा, घी, चौकी और एक थाली। दिवाली पूजा विधि:- पूजा करते समय हमेशा ध्यान रखें कि आप पूर्व की तरफ मुख करके बैठे हों और अपने बायाँ तरफ ही घंटा, घूप रखें और दायाँ तरफ  शंख, जलपात्...

दीपावली का पर्व

दीपावली दीपावली का पर्व मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है। कार्तिक माह की अमावस्या को समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिन्हें धन ,  वैभव ,  ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है | दीपावली को असत्य पर सत्य की और अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है| इसे दीपोत्सव भी कहते हैं| ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से प्रकाश की ओर जाइए’ कथन को सार्थक करती है दीपावली| इस बार दिवाली:  4  नवंबर , 2021,  गुरुवार को है| अमावस्या तिथि प्रारम्भ:  04  नवंबर  2021  को प्रात:  06:03  बजे से. अमावस्या तिथि समाप्त:  05  नवंबर  2021  को प्रात:  02:44  बजे तक दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम  6:09  मिनट से रात्रि  8:20  मिनट यह त्योहार  5  दिन का होता है ,जो  धनतेरस   से शुरू होकर नरक चतुर्दशी ,  मुख्य पर्व दीपावली ,  गोवर्धन पूजा से होते हुए   भाई दूज   पर समाप्त हो...

धनतेरस

  धनतेरस   दीपावली महोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है। दीपावली का पर्व मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है।  कार्तिक माह की अमावस्या को समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिन्हें धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है।  यह त्योहार 5 दिन का होता है,  धनतेरस से शुरू होकर नरक चतुर्दशी, मुख्य पर्व दीपावली, गोवर्धन पूजा से होते हुए भाई दूज पर समाप्त होता है।   पहले  दिन को धनतेरस कहते हैं। दीपावली महोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है। इसे धन त्रयोदशी,  धन्‍वंतरि त्रियोदशी या धन्‍वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है।  धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज, धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि की पूजा का महत्व है। इसी दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे और उनके साथ आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुद्र मंथन से प्राप्त हुए थे। तभी से इस दिन का नाम 'धनतेरस' पड़ा |  धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी करते हैं।   इस दिन सोने-चाँदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। वैसे ...

माँ दुर्गा के नौ रूप

               किस  दिन  किस   मंत्र से करें देवी आराधना माता दुर्गा के 9 रूपों की साधना करने से भिन्न - भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कई साधक अलग - अलग तिथियों को जिस देवी की तिथि हैं , उनकी साधना करते हैं। आइए जानें कि हर दिन किस मंत्र से करें देवी आराधना (1) माता शैलपुत्री : प्रतिपदा के दिन इनका पूजन - जप किया जाता है। मूलाधार में ध्यान कर इनके मंत्र को जपते हैं। धन - धान्य - ऐश्वर्य , सौभाग्य - आरोग्य तथा मोक्ष के देने वाली माता मानी गई हैं।   मंत्र - ' ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम : । ' (2) माता ब्रह्मचारिणी : स्वाधिष्ठान चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। संयम , तप , वैराग्य तथा   विजय प्राप्ति की दायिका हैं। मंत्र - ' ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम : । ' (3) माता चन्द्रघंटा : मणिपुर चक्र में इनका ध्यान किया जाता है। कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए इन्हें भजा जाता है। मंत्...