Skip to main content

दीपावली का पर्व

दीपावली

दीपावली का पर्व मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है।

कार्तिक माह की अमावस्या को समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिन्हें धनवैभवऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है।इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है|

दीपावली को असत्य पर सत्य की और अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है|इसे दीपोत्सव भी कहते हैं| ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से प्रकाश की ओर जाइए’ कथन को सार्थक करती है दीपावली|

इस बार दिवाली: नवंबर, 2021, गुरुवार को है|

अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 04 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से.
अमावस्या तिथि समाप्त: 05 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक
दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 6:09 मिनट से रात्रि 8:20 मिनट

यह त्योहार दिन का होता है,जो धनतेरस से शुरू होकर नरक चतुर्दशीमुख्य पर्व दीपावलीगोवर्धन पूजा से होते हुए भाई दूज पर समाप्त होता है।

पहले दिन को धनतेरस कहते हैं। दीपावली महोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है। 
दुसरे दिन को नरक चतुर्दशी, रूप चौदस और काली चौदस कहते हैं।
तीसरे दिन को 'दीपावली' कहते हैं। यही मुख्य पर्व होता है। 
चौथे दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा होती है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव मनाना जाता है। इसे पड़वा या प्रतिपदा भी कहते हैं। 
पांचवां दिन को भाई दूज और यम द्वितीया कहते हैं। भाई दूज, पांच दिवसीय दीपावली महापर्व का अंतिम दिन होता है।

दीपावली की रात्रि मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों से वातावरण रोशन हो जाए।

मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान रामचन्द्रजी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर घर लौटे थे। श्रीराम के स्वागत हेतु अयोध्यावासियों ने घर-घर दीप जलाए थे और नगरभर को आभायुक्त कर दिया था। तभी से दीपावली के दिन दीप जलाने की परंपरा है।

दीपावली की रात्रि को धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है।

देवी की पूजा :-

इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य 1 तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्वलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं 4 बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे, ऐसा प्रयास करें।
 
दीपावली की रात का दीपक :- 
1. दिपावली के दिन लक्ष्‍मी की पूजा करने के लिए एक दीपक 
पीतल या स्टील का जलाना चाहिए|

2. दीपावली की रात को देवालय में गाय के दूध का शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे तुरंत ही कर्ज से छुटकारा मिलता है और आर्थिक तंगी दूर हो जाती है। 

3. दीपावली की रात को तीसरा दीया तुलसी के पास जलाया जाता है। 
 
4. चौथा दीपक दरवाजे के बाहर देहरी के आसपास या बनाई गई रांगोली के बीच में रखते हैं। 

5. पांचवां दीया पीपल के पेड़ के नीचे रखकर आते हैं।

6. छठा दीपक पास के किसी मंदिर में रखना जरूरी होता है।
 
7.सातवां दीपक कचरा रखने वाले स्थान पर रखते हैं।
 
8. आठवां बाथरूम के कोने में रखते हैं। 

9. नौवां दीपक मुंडेर पर या आपके घर में गैलरी हो तो वहां रखते हैं।

10. दसवां घर की दिवारों पर की मुंडेर पर या बॉउंड्रीवाल पर रखते हैं।
 
11. ग्यारहां दीपक खिड़की में रखते हैं।
 
12. बारहवां दीपक छत पर रखते हैं।
 
13. तेरहवां दीपक किसी चौराहे पर रखकर आते हैं।
 
14. चौदहवां दीपक दीपावली पर कुल देवी देवता, यम और पितरों के लिए भी जलाया जाता है।

15. पंद्रहवां दीपक गौशाला में रखते हैं।



अगर आपको ये पोस्ट पसंद आया तो लाइक 👍 और शेयर जरुर करे|

Comments

Popular posts from this blog

रत्न क्या कर सकता है ?

  रत्न:-   सबसे पहले हम जान लेते हैं कि रत्न क्या है? काम क्या करता है?  क्या रत्न अशुभ / नीच ग्रह को शुभ कर सकता है ? रत्नों का सिर्फ काम है ग्रह की ताकत / प्रभाव को बढ़ाना ।  जो भी ग्रह है उस ग्रह की ताकत, उस ग्रह के प्रभाव को बढ़ाना। अच्छे ग्रह हैं तो अच्छे ग्रह की ताकत को बढ़ाएगा और अगर कुंडली में वह ग्रह खराब स्थिति में है तो भी वह उसके प्रभाव को बढ़ाएगा। जो ग्रह हमारे कुंडली में अच्छे भाव में है अगर हम उनके रत्न पहनते हैं तो वह उसके प्रभाव को बढ़ाएगा जो हमें फायदा देगा।  जो ग्रह हमारे कुंडली में अशुभ / नीच में है खराब है तो रत्न शुभ नहीं कर सकता है बल्कि अगर उसके रत्न धारण करेंगे तो वह रत्न उसके प्रभाव को बढ़ाएगा और नीच / अशुभ होने के कारण वह ग्रह हमें परेशान करेंगे।  रत्न हमेशा शुभ / योगकारक / कमजोर ग्रह के ही धारण करने चाहिए। जो ग्रह कुंडली में शुभ हो लेकिन उसमें बल की कमी हो तो उससे संबंधित रत्न को धारण करना चाहिए।  जो ग्रह कुंडली में शुभ हो और बलवान हो तो उसके रत्न को धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि बलवान ग्रह का रत्न धारण करने से वह अशुभ ...

कामप्रजाळण नाच करे I कवि दुला भाई काग कृत

 कामप्रजाळण नाच करे : रचना :- कवि दुला भाई काग कृत (छंद - दुर्मिला)  परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे, भभके गण भूत भयंकर भुतळ, नाथ अधंखर ते नखते, भणके तळ अंबर बाधाय भंखर , गाजत जंगर पांह गते ; डमरुय डडंकर बाह जटंकर , शंकर ते कईलास सरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे, (1) हडडं खडडं ब्रह्मांड हले, दडडं दडदा कर डाक बजे, जळळं दंग ज्वाल कराल जरे , सचरं थडडं गण साज सजे ; कडके धरणी कडडं , हडडं मुख नाथ ग्रजंत हरे , परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(2) हदताळ मृदंग हुहूकट,हाकट धाकट धीकट नाद धरं, द्रहद्राह दिदीकट वीकट दोक्ट,कट्ट फरंगट फेर फरं ; धधडे नग धोम धधा कर धीकट,धेंकट घोर कृताळ धरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(3) नट तांडवरो भट देव घटां नट उलट गूलट धार अजं, चहँ थाक दुदूवट दूवट खेंखट,गेंगट भू कईलास ग्रजं ; तत तान त्रिपुरारि त्रेकट त्रुकट, भूलट धुहर ठेक भरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(4) सहणाई छेंछ अपार छटा,चहुथ नगारांय चोब रडे, करताल थपाट झपाट कटाकट, ढोल धमाकट मेर धडे ; उमया संग नाट गणं सरवेश्वर,ईश्वर 'थईततां,...

कमजोर चंद्रमा लक्षण और उपाय

  कमजोर चंद्रमा के बुरे प्रभाव – चंद्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय पंडित और ज्ञानी लोग यह कहते हैं की आपको अपने मुख्य ग्रह और चंद्र को मजबूत करने के बारे में सोचना चाहिए साथ ही अपने इष्ट देव या देवी की नियमित आराधना करनी चाहिए ताकि आपका जीवन चिंता मुक्त और ख़ुशी से बीते| यहाँ आज हम आपको चंद्र ग्रह को शांत करने और मजबूत बनाने के लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं| जहाँ एक और चंद्र की कृपा आपका जीवन खुशियों से भर सकता है वही इस ग्रह के कमजोर होने पर आपके जीवें में विपरीत प्रभाव पड़ते हैं आइये पहले जानते हैं की कमजोर चंद्र के दुश प्रभाव क्या हो सकते हैं और अगले भाग में चर्चा करेंगे की चन्द्रमा को मजबूत कैसे करे| कैसे होता चन्द्र खराब?: * घर का वायव्य कोण दूषित होने पर भी चन्द्र खराब हो जाता है।  * घर में जल का स्थान-दिशा यदि दूषित है तो भी चन्द्र मंदा फल देता है।  * पूर्वजों का अपमान करने और श्राद्ध कर्म नहीं करने से भी चन्द्र दूषित हो जाता है।  * माता का अपमान करने या उससे विवाद करने पर चन्द्र अशुभ प्रभाव देने लगता है।  * शरीर में जल यदि दूषित हो गया है तो भी चन्द्र का अ...