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Showing posts from January 4, 2023

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ, विधि और नियम

सोए हुए भाग्य को चमकाने का काम करता है आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ, जानिए विधि और नियम   मान्यता है प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से सोई हुई किस्मत जाग जाती है। अगर रोजाना इसका पाठ संभव न हो तो सप्ताह में एक दिन रविवार को इसे जरूर करें। ज्योतिष शास्त्र अनुसार सूर्य ग्रह व्यक्ति के जीवन में प्रसिद्धि, यश, तेज, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति का कारक ग्रह माना जाता है। जिसकी कुंडली में ये ग्रह मजबूत होता है उसे जीवन में तमाम सुख प्राप्त होते हैं। ऐसा व्यक्ति खूब नाम कमाता है। सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सबसे ज्यादा उत्तम माना गया है। कहते हैं इस स्तोत्र का प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिणाम हासिल होने लगते हैं। जानिए इस पाठ को करने की सही विधि। आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ की विधि: -ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली या चंदन और पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्पित करें। -सूर्य देव को जल अर्पित करते समय गायत्री मंत्र का जाप करें और सूर्यदेव ...

आदित्य हृदय स्तोत्रम

  ।। अथ आदित्य हृदय स्तोत्रम ।। ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्। रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्॥ 01 दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्। उपागम्याब्रवीद्राममगस्त्यो भगवान् ऋषिः॥ 02 राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम्। येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसि॥ 03 आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्। जयावहं जपेन्नित्यम् अक्षय्यं परमं शिवम्॥ 04 सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं सर्वपापप्रणाशनम्। चिन्ताशोकप्रशमनम् आयुर्वर्धनमुत्तमम्॥ 05 रश्मिमंतं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्। पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्॥ 06 सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः। एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः॥ 07 एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः। महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः॥ 08 पितरो वसवः साध्या ह्यश्विनौ मरुतो मनुः। वायुर्वह्निः प्रजाप्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः॥ 09 आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान्। सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकरः॥ 10 हरिदश्वः सहस्रार्चि: सप्तसप्ति-मरीचिमान। तिमिरोन्मन्थन: शम्भुस्त्वष्टा मार्ताण्ड अंशुमान॥ 11 हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनो भास्करो रविः।...

आदित्य हृदय स्तोत्र का अर्थ हिंदी में

  ।। अथ आदित्य हृदय स्तोत्रम ।। उधर श्रीरामचन्द्रजी युद्ध से थककर चिंता करते हुए रणभूमि में खड़े हुए थे। इतने में रावण भी युद्ध के लिए उनके सामने उपस्थित हो गया। ॥ 01 यह देख भगवान् अगस्त्य मुनि, जो देवताओं के साथ युद्ध देखने के लिए आये थे, श्रीराम के पास जाकर बोले। ॥ 02 सबके ह्रदय में रमन करने वाले महाबाहो राम! यह सनातन गोपनीय स्तोत्र सुनो! वत्स! इसके जप से तुम युद्ध में अपने समस्त शत्रुओं पर विजय पा जाओगे । ॥ 03 इस गोपनीय स्तोत्र का नाम है ‘आदित्यहृदय’ । यह परम पवित्र और संपूर्ण शत्रुओं का नाश करने वाला है। इसके जप से सदा विजय कि प्राप्ति होती है। यह नित्य अक्षय और परम कल्याणमय स्तोत्र है। ॥ 04 सम्पूर्ण मंगलों का भी मंगल है। इससे सब पापों का नाश हो जाता है। यह चिंता और शोक को मिटाने तथा आयु का बढ़ाने वाला उत्तम साधन है। ॥ 05 भगवान् सूर्य अपनी अनंत किरणों से सुशोभित हैं । ये नित्य उदय होने वाले, देवता और असुरों से नमस्कृत, विवस्वान नाम से प्रसिद्द, प्रभा का विस्तार करने वाले और संसार के स्वामी हैं । तुम इनका रश्मिमंते नमः, समुद्यन्ते नमः, देवासुरनमस्कृताये नमः, विवस्वते नमः, भास्कराय...

आदित्य हृदय स्तोत्र अर्थ सहित

  ।। अथ आदित्य हृदय स्तोत्रम ।। ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्। रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्॥ 01 उधर श्रीरामचन्द्रजी युद्ध से थककर चिंता करते हुए रणभूमि में खड़े हुए थे। इतने में रावण भी युद्ध के लिए उनके सामने उपस्थित हो गया। दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्। उपागम्याब्रवीद्राममगस्त्यो भगवान् ऋषिः॥ 02 यह देख भगवान् अगस्त्य मुनि, जो देवताओं के साथ युद्ध देखने के लिए आये थे, श्रीराम के पास जाकर बोले। राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम्। येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसि॥ 03 सबके ह्रदय में रमन करने वाले महाबाहो राम! यह सनातन गोपनीय स्तोत्र सुनो! वत्स! इसके जप से तुम युद्ध में अपने समस्त शत्रुओं पर विजय पा जाओगे । आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्। जयावहं जपेन्नित्यम् अक्षय्यं परमं शिवम्॥ 04 इस गोपनीय स्तोत्र का नाम है ‘आदित्यहृदय’ । यह परम पवित्र और संपूर्ण शत्रुओं का नाश करने वाला है। इसके जप से सदा विजय कि प्राप्ति होती है। यह नित्य अक्षय और परम कल्याणमय स्तोत्र है। सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं सर्वपापप्रणाशनम्। चिन्ताशोकप्रशमनम् आयुर्वर्धनमुत्तमम्॥ 05 सम्पू...