नवग्रह पंचतत्व पंचतत्व मानव की पांच इन्द्रियों से संबंधित है। जीभ , नाक, कान, त्वचा और आंखें हमारी पांच इन्द्रियों का काम करती हैं। इन पंचतत्वों को पंचमहाभूत भी कहा गया है। इन पांचो तत्वों के स्वामी ग्रह, कारकत्व, अधिकार क्षेत्र आदि भी निर्धारित किए गये हैं:- आकाश (Space) , वायु (Quark), अग्नि (Energy), जल (Force) तथा पृथ्वी (Matter) – ये पंचमहाभूत माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। आकाश (Space) आकाश तत्व का स्वामी ग्रह गुरु है।आकाश एक ऎसा क्षेत्र है जिसकी कोई सीमा नहीं है।पृथ्वी के साथ्-साथ समूचा ब्रह्मांड इस तत्व का कारकत्व शब्द है। इसके अधिकार क्षेत्र मेंआशा तथा उत्साह आदि आते हैं।वात तथा कफ इसकी धातु हैं। वास्तु शास्त्र में आकाश शब्द का अर्थ रिक्त स्थान माना गया है। आकाश का विशेष गुण “शब्द” है और इस शब्द का संबंध हमारे कानों से है। कानों से हम सुनते हैं और आकाश का स्वामी ग्रह गुरु है इसलिए ज्योतिष शास्त्र में भी श्रवण शक्ति का कारक गुरु को ही माना गया है। शब्द जब हमारे कानों तक पहुंचते है तभी उनका कुछ अर्थ निकलता है। वेद तथा पुराणों में शब्द, अक्षर तथा...
जादू-टोना, रोचक तथ्य "आध्यात्मिक जानकारी" के साथ आपकी स्वास्थ्य समस्या का समाधान। सारी जानकारी पुरानी किताब, निजी अनुभव, हमारे अघोरी मित्र, ग्रामीण ओझा , भगत जी और इंटरनेट से ली गई है।