देहरक्षा का कवच मन्त्र उत्तर बांधों, दक्खिन बांधों, बांधों भरी मसानी डायन, भूत के गुण बांधों, बांधों कुल परिवार नाटक बांधों, नाटक बांधों, बांधों भुइयां बैताल नजर गुजर देह बांधों, रामदुहाई फेरों। दशहरा, होली, दीपावली अथवा ग्रहणकाल में इस मन्त्र को एक हजार आठ की संख्या (दस माला) में जपकर सिद्ध कर लें। अब जब भी शरीर के सुरक्षा की आवश्यकता पड़े तो मन्त्र का ग्य:ह बार उच्चारण करके अपनी शिखा में गाँठ लगा लें। जिसकी शिखा न हो, वह अपने हाथों की हथेलियों पर ग्यारह बार मन्त्र पढ़कर ग्यारह ही बार फूंक मारें और उन हथेलियों को वह अपने पूरे शरीर पर फिरा दे। इस क्रिया से शरीर बंधकर हर बला से सुरक्षित हो जायेगा। ॐ नमो परमात्मने, परब्रह्म मम शरीरे, पाहि पाहि कुरु कुरु स्वाहा। यह मन्त्र एक ऐसा सुरक्षा कवच का कार्य करता है, जिसे आसानी से कोई भेद नहीं सकता। इसे सिद्ध व प्रयोग करना बहुत सरल है। शिवरात्रि, होली, दीपावली, किसी ग्रहण अथवा सायन संक्रांति के पुण्यकाल या क्रांति साम्य के समय ग्यारह माला (एक माला =१०८ दाने) मन्त्र का जप करें। इस प्रकार जब मन्त्र सिद्ध हो जाए तो प्रयोग के समय एक माला मन्त्र ...
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