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Showing posts from August 25, 2022

आत्मा

  आत्मा  आत्मा क्या है ? आत्मा अमर है , नाहीं कभी जन्म लेता , नाहीं उसकी मृत्यु होती। आत्मा सनातन है। आत्मा एक उर्जा का रुप हैं जो शरीर से दूर होने पर अस्तित्व प्राप्त करती है।  यह शरीर पांच तत्वों से बना है- अग्नि , जल , वायु , पृथ्वी और आकाश। एक दिन यह शरीर इन्हीं पांच तत्वों में विलीन हो जाएगा। '- गीता आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं :-  1. जीवात्मा     2.   प्रेतात्मा और      3.सूक्ष्मात्मा।  जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है , उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं। 84 लाख योनियां : पशु योनि , पक्षी योनि , मनुष्य योनि में जीवन-यापन करने वाली आत्माएं मरने के बाद अदृश्य भूत-प्रेत योनि में चली जाती हैं। आत्मा के प्रत्येक जन्म द्वारा प्राप्त जीव रूप को योनि कहते हैं। ऐसी 84 लाख योनियां हैं , जिसमें कीट-पतंगे , पशु-पक्षी , वृक्ष और मानव आदि सभी शामिल हैं। हिन्दू धर्म की मान्यता के अ...

आत्मा कि गति

आत्मा कि गति   वेद , स्मृति और पुराणों अनुसार आत्मा की गति और उसके किसी लोक में पहुंचने का वर्णन अलग-अलग मिलता है। हम हां पौराणिक मत को जानेंगे लेकिन पहले संक्षिप्त में वैदिक मत भी जान लें जो कि गति के संदर्भ में है।   वैदिक ग्रंथ के अनुसार आत्मा पांच तरह के कोश में रहती है। अन्नमय , प्राणमय , मनोमय , विज्ञानमय और आनंदमय। इन्हीं कोशों में रहकर आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो मुख्यतौर पर उसकी तीन तरह की गतियां होती हैं-   1. उर्ध्व गति        2. स्थिर गति         3. अधोगति इसे ही अगति और गति में विभाजित किया गया है।    1. उर्ध्व गति :-  इस गति के अंतर्गत व्यक्ति उपर के लोक की यात्रा करता है। ऐसा वही व्यक्ति कर सकता है जिसने जाग्रत , स्वप्न और सुषुप्ति में खुद को साक्षी भाव में रखा है या निरंतर भगवान की भक्ति की है। ऐसे व्यक्ति पितृ या देव योनी के सुख भोगकर पुन: धरती पर जन्म लेता है।    2. स्थिर गति :  इस गति का अर्थ है व्यक्ति मरने के बाद न ऊपर के लोक गया और न ...

आठ योगी महापुरुष

ये हैं वो आठ योगी महापुरुष जो आज भी जीवित  और अमर माने जाते हैं.. 1. महावीर हनुमान – अंजनी पुत्र हनुमान जी को अजर और अमर रहने के वरदान मिला है तथा इन की मौजूदगी रामायण और महाभारत दोनों जगह पर पाई गई है.रामायण में हनुमान जी ने प्रभु राम की सीता माता को रावण के कैद से छुड़वाने में मदद की थी और महाभारत में उन्होंने भीम के घमंड को तोडा था. सीता माता ने हनुमान को अशोक वाटिका में राम का संदेश सुनाने पर वरदान दिया था की वे सदेव अजर-अमर रहेंगे. अजर-अमर का अर्थ है की उनकी कभी मृत्यु नही होगी और नही वे कभी बूढ़े होंगे. माना जाता है की हनुमान जी इस धरती पर आज भी विचरण करते है. 2. अश्वत्थामा – अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचर्य के पुत्र है तथा उनके मष्तक में अमरमणि विध्यमान है. अश्वत्थामा ने सोते हुए पांडवो के पुत्रो की हत्या करी थी जिस कारण भगवान कृष्ण ने उन्हें कालांतर तक अपने पापो के प्रायश्चित के लिए इस धरती में ही भटकने का श्राप दिया था. हरियाणा के करुक्षेत्र और अन्य तीर्थ में उनके दिखाई दिए जाने के दावे किये जाते है तथा मध्यप्रदेश के बुराहनपुर में उनके दिखाई दिए जाने की घटना प्रचलित है. 3. ऋषि मार...

पाण्डव, कौरव रोचक तथ्य

  Ø   पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं - 1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन 4. नकुल। 5. सहदेव ( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है ) युधिष्ठिर , भीम और अर्जुन की माता कुन्ती थीं …… तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी । Ø   धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र कौरव कहलाए जिनके नाम हैं - 1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह 4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम 7. सह 8. विंद 9. अनुविंद 10. दुर्धर्ष   11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण 13. दुर्मर्षण।   14. दुर्मुख   15. दुष्कर्ण 16. विकर्ण   17. शल   18. सत्वान 19. सुलोचन   20. चित्र   21. उपचित्र 22. चित्राक्ष   23. चारुचित्र   24. शरासन 25. दुर्मद।   26. दुर्विगाह   27. विवित्सु   28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ 31. नन्द।   32. उपनन्द   33. चित्रबाण 34. चित्रवर्मा   35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन 37. अयोबाहु   38. महाबाहु   39. चित्रांग   40. चित्र...