दिवाली वाले दिन क्रमशः देवी लक्ष्मी, रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान गणेश , माता सरस्वती, माता लक्ष्मी के सचिव कुबेर जी कुबेर, एवं माता लक्ष्मी के प्रिय श्री हरि और राम दरबार की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि दिवाली वाले दिन यानी कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ धरती पर आती हैं और अपने भक्तों की झोलियां भरती हैं। इस दिन लोग अपने धन और कीमती वस्तुओं जैसे सोने-चांदी की भी पूजा करते हैं। दिवाली पूजन सामग्री :- लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा, सरस्वती जी की प्रतिमा, कमल व गुलाब के फूल, पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, मिठाई, फूल, दूध, गंगाजल, इत्र, खील, बताशे, मेवे, शहद, दही, दीपक, रुई , कलावा, पानी वाला जटाधारी नारियल, तांबे का कलश, स्टील या चांदी का कलश, चांदी का सिक्का, आटा, तेल, लौंग, लाल या पीला कपड़ा, घी, चौकी और एक थाली। दिवाली पूजा विधि:- पूजा करते समय हमेशा ध्यान रखें कि आप पूर्व की तरफ मुख करके बैठे हों और अपने बायाँ तरफ ही घंटा, घूप रखें और दायाँ तरफ शंख, जलपात्...
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