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Showing posts from March 18, 2023

भाग्येश का सभी बारह भावों में फल

  नवमेश (भाग्येश) का कुंडली के सभी बारह भावों में फल          कुंडली के नवम भाव को भाग्य का भाव कहा जाता है एवं इस भाव के स्वामी को नवमेश कहा जाता है | ज्योतिष में नवम भाव भाग्य, धर्म, पिता, उच्च-शिक्षा एवं विदेश यात्रा का होता है | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर नवमेश अलग-अलग फल प्रदान करता है | आइए जानते हैं कि “नवमेश (भाग्येश) का कुंडली के सभी बारह भावों में फल” क्या होगा ? नवमेश  प्रथम भाव में  :-  नवमेश के प्रथम भाव में होने से जातक अपने जीवन में अपने प्रयासों से अत्‍यधिक समृद्धि अर्जित करता है, एवं आत्‍मनिर्भर होता है | ऐसा जातक धर्मपारायण, शिक्षित, आकर्षक एवं प्रसिद्ध होता है | यदि भाग्येश लग्न में लग्नेश के साथ स्थित हो तो शुभ राजयोग का निर्माण होता है | नवमेश  द्वितीय भाव में  :-  नवमेश के द्वितीय भाव में होने से जातक विद्वान, धनवान, सुखी जीवन जीने वाला एवं सबका प्रिय होता है | ऐसे जातक के पिता शक्‍तिशाली एवं संपन्‍न व्‍यक्‍ति होते हैं एवं उसे अत्‍यधिक पैतृक संपत्ति मिलने की संभावना होती है | किंतु नवमेश के पीडित हो...

पंचमेश का सभी बारह भावों में फल

  पंचमेश का कुंडली के सभी बारह भावों में फल             कुंडली के पंचम भाव को शिक्षा-संतान का भाव कहा जाता है एवं इस भाव के स्वामी को पंचमेश कहा जाता है | ज्योतिष में पंचम भाव उच्च शिक्षा, संतान, प्रेम एवं टेलेंट का होता है | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर पंचमेश अलग-अलग फल प्रदान करता है | आइए जानते हैं कि “पंचमेश का कुंडली के सभी बारह भावों में फल” क्या होगा ? पंचमेश  प्रथम भाव में  :-  पंचमेश के प्रथम भाव में होने से जातक बुद्धिमान एवं सटीक निर्णय क्षमता वाला होता है | ऐसा जातक न्‍यायधीश या मंत्री बन सकता है | पंचमेश के पीडित होने की स्थिति में जातक को कुछ समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है | ऐसे जातक कुटिल बुद्धि वाले होते हैं | यह धोखेबाजी एवं बुरे कर्मों में लिप्‍त रहते हैं | पंचमेश  द्वितीय भाव में  :-  पंचमेश के द्वितीय भाव में होने से जातक को एक अच्‍छे जीवनसाथी और शिष्‍ट संतान की प्राप्‍ति होती है | वह सरकार से मौद्रिक लाभ पाता है | इनके ज्‍योतिषी बनने की संभावना होती है | लेकिन पंचमेश के पीडित होने की स्थिति ...

लग्नेश का सभी भावों में फल

  लग्नेश का कुंडली के सभी बारह भावों में फल        कुंडली के प्रथम भाव को लग्न भाव कहा जाता है एवं इस भाव के स्वामी को लग्नेश कहा जाता है | ज्योतिष में यह माना जाता है कि जन्म कुंडली के जिस भाव में लग्नेश स्थित होता है उस भाव से संबंधित फलों में व्यक्ति की रूचि अधिक होती है या उस भाव के फलों का प्रभाव जातक के जीवन में अधिक देखा जाता है | कुंडली के अलग-अलग भावों में विद्यमान होकर लग्नेश अलग-अलग फल प्रदान करता है | आइए जानते हैं की “लग्नेश का कुंडली के सभी बारह भावों में फल” क्या होगा ? लग्नेश प्रथम भाव में :-  यदि लग्न भाव का स्वामी प्रथम भाव (लग्न) में ही स्थित हो तो जातक सुखी, स्वस्थ, ऐश्र्वर्य संपन्न, चंचल, सुन्दर, तथा दीर्घायु होता है | सामान्यतः जातक जीवन में सफलता प्राप्त करता है | वह विचारवान तथा विद्वान होता है | यदि लग्नेश पीड़ित अवस्था में हो, अशुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो जातक का स्वास्थ्य खराब रहता है | ऐसा जातक अस्थिर मानसिकता युक्त तथा अनैतिक कार्यों से युक्त होता है | लग्नेश द्वितीय भाव में  :-  यदि लग्न भाव का स्वामी द्...