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पंचमेश का सभी बारह भावों में फल

 

पंचमेश का कुंडली के सभी बारह भावों में फल

            कुंडली के पंचम भाव को शिक्षा-संतान का भाव कहा जाता है एवं इस भाव के स्वामी को पंचमेश कहा जाता है | ज्योतिष में पंचम भाव उच्च शिक्षा, संतान, प्रेम एवं टेलेंट का होता है | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर पंचमेश अलग-अलग फल प्रदान करता है | आइए जानते हैं कि “पंचमेश का कुंडली के सभी बारह भावों में फल” क्या होगा ?

पंचमेश प्रथम भाव में :- पंचमेश के प्रथम भाव में होने से जातक बुद्धिमान एवं सटीक निर्णय क्षमता वाला होता है | ऐसा जातक न्‍यायधीश या मंत्री बन सकता है | पंचमेश के पीडित होने की स्थिति में जातक को कुछ समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है | ऐसे जातक कुटिल बुद्धि वाले होते हैं | यह धोखेबाजी एवं बुरे कर्मों में लिप्‍त रहते हैं |

पंचमेश द्वितीय भाव में :- पंचमेश के द्वितीय भाव में होने से जातक को एक अच्‍छे जीवनसाथी और शिष्‍ट संतान की प्राप्‍ति होती है | वह सरकार से मौद्रिक लाभ पाता है | इनके ज्‍योतिषी बनने की संभावना होती है | लेकिन पंचमेश के पीडित होने की स्थिति में परिस्थिति इससे बिलकुल विपरीत हो सकती है |

पंचमेश तृतीय भाव में :- पंचमेश के तृतीय भाव में होने से जातक को कई सारे भाई और संतान का सुख मिलता है | किंतु तृतीय भाव के स्‍वामी और पंचमेश के पीडित होने पर जातक को भाई एवं संतान से परेशानी उठानी पड़ती है |

पंचमेश चतुर्थ भाव में :- पंचमेश के चतुर्थ भाव में होने से जातक के जीवन में अधिक समस्‍याएं नहीं आती हैं | इनकी माता की दीर्घायु होती है | यह शिक्षक एवं किसी मंत्री या प्रभावी शख्‍सियत के सलाहकार बन सकते हैं | चतुर्थ भाव के प्रबल होने की दशा में जातक को पुत्री की प्राप्‍ति होती है, किंतु चतुर्थ भाव के पीडित होने की दशा में इनकी संतान की जल्‍दी मृत्‍यु संभव है |

पंचमेश पंचम भाव में :- पंचमेश के पंचम भाव में होने से ग्रह स्वगृही होगा जो जातक की शिक्षा, संतान एवं व्यवसाय के लिए बहुत शुभ होगा | जातक को अनेक पुत्रों की प्राप्‍ति होती है | यह किसी धार्मिक संस्‍थान के प्रमुख हो सकते हैं एवं मन्त्र-शास्त्र व गणित में निपुण होते हैं |

पंचमेश षष्टम भाव में :- पंचमेश की षष्टम भाव में स्थिति संतान एवं शिक्षा के लिए अच्छी नहीं मानी जाती | ऐसे जातकों के अपने पुत्र से अच्‍छे संबंध नहीं होते हैं | ग्रह की शुभ स्थिति होने पर जातक के चाचा या मामा कोई प्रभावी व्‍यक्‍ति हो सकते है, किंतु ग्रह की अशुभ स्थिति में जातक अपने चाचा-मामा के परिवार में से किसी को गोद ले सकता है |

पंचमेश सप्तम भाव में :- पंचमेश के सप्तम भाव में होने से जातक धनी, प्रभावी और निपुण होते हैं | यह ओजस्‍वी व्‍यक्‍तित्‍व के होते हैं एवं इनका पुत्र विदेश में निवास करता है | ऐसे जातक को अपने जीवनसाथी से बहुत प्रेम होता है | किंतु सप्‍तमेश के पीडित होने की स्थिति में जातक के निसंतान होने की संभावना होती है |

पंचमेश अष्टम भाव में :- पंचमेश के अष्टम भाव में होने से जातक कर्ज के कारण अपनी संपत्ति खो सकता है | उसके पारिवारिक जीवन में कई समस्‍याएं बनी रहेंगीं | वह फेफड़े से जुड़े किसी रोग से ग्रस्‍त रह सकता है | ऐसे जातक जीवन में दुखी और उदास रहते हैं |    

पंचमेश नवम भाव में :- पंचमेश के नवम भाव में होने से जातक सामाजिक कार्य और दूसरों को आश्रय देने का कार्य करते हैं | ऐसे जातक पेशे से शिक्षक होते हैं | इनका पुत्र वक्‍ता एवं लेखक बनता है | किंतु पंचमेश की अशुभ स्थिति होने पर जातक को जीवन में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है |

पंचमेश दशम भाव में :- पंचमेश के दशम भाव में होने से राजयोग का निर्माण होता है | ऐसे जातकों का केरियर उनकी शिक्षा से निर्धारित होता है | ऐसे जातक सुप्रसिद्ध, धार्मिक एवं सम्पत्तिवान होते हैं | पंचमेश के निर्बल होने की स्थिति में जातक को शिक्षा एवं व्यवसाय में हानि होती है |  

पंचमेश एकादश भाव में :- पंचमेश के एकादश भाव में होने से जातक धनी, निपुण और सहायक होते हैं | यह लेखक बनते हैं | इन्‍हें अपने पुत्रों से लाभ मिल सकता है | पंचमेश के पीड़ित होने की स्थिति मे इन सुखों में कमी आती है |

पंचमेश द्वादश भाव में :- पंचमेश के द्वादश भाव में होने से जातक संत बनकर धार्मिक जीवन व्‍यतीत करते हैं या आध्यात्मिक जीवन जीते हैं | यह अपने पूरे जीवन में सत्‍य की खोज करने में व्‍यस्‍त रहते हैं एवं अंत में इन्‍हें मोक्ष की प्राप्ति होती है |

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