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Showing posts from July 8, 2023

शिव तांडव स्तोत्र और अर्थ

  शिव तांडव स्तोत्र – Hindi Lyrics and Meaning जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥ उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है, और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है, और डमरू से डमट् डमट् डमट् की ध्वनि निकल रही है, भगवान शिव शुभ तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको संपन्नता प्रदान करें।   जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥ मेरी शिव में गहरी रुचि है, जिनका सिर अलौकिक गंगा नदी की बहती लहरों की धाराओं से सुशोभित है, जो उनकी बालों की उलझी जटाओं की गहराई में उमड़ रही हैं? जिनके मस्तक की सतह पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है, और जो अपने सिर पर अर्ध-चंद्र का आभूषण पहने हैं।   धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥ मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे, अद्भु...

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र अर्थ सहित

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र  अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१।। सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते। त्रिभुवनपोषिणि शंकरतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते।। दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणी सिन्धुसुते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।२।। अयि जगदम्बमदम्बकदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते। शिखरिशिरोमणि तुङ्गहिमालय शृंगनिजालय मध्यगते।। मधुमधुरे मधुकैटभगन्जिनि कैटभभंजिनि रासरते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।३।। अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्ड गजाधिपते। रिपु गजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रम शुण्ड मृगाधिपते।। निजभुज दण्ड निपतित खण्ड विपातित मुंड भटाधिपते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।४।। अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते। चतुरविचारधुरीणमहाशिव दूतकृत प्रथमाधिपते।। दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदूत कृतान्तमते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिन...