ओपल पहनने की विधि दिन- शुक्रवार होरा- शुक्र पक्ष- शुक्ल नक्षत्र -भरणी, पूर्व फाल्गुन, पूर्व अषाढ़ा उपरोक्त संयोग नहीं हो पाता है तो ओपल रत्न शुक्रवार के दिन या शुक्र की होरा में धारण किया जाता है। वैसे तो शुक्र ग्रह की अंगुली अंगुष्ठ होता है । परंतु इसमें अंगूठी धारण करना असंभव है । ओपल सीधे हाथ की रिंग फिंगर अर्थात अनामिका अंगुली (शुक्र के मित्र सूर्य की अंगुली) में धारण कर सकते हैं; अथवा शुक्र के मित्र ग्रह बुध की अंगुली कनिष्ठा में (वैवाहिक संबंध और अधिक बेहतर करने के लिए) अथवा दूसरे मित्र शनि की अंगुली मध्यमा में धारण कर सकते हैं। तर्जनी उनके दुश्मन ग्रह वृहस्पति का है अतः इसमें धारण करना उचित नहीं हैं। इस रत्न को धारण करते समय शुक्र देव को याद करते हुए 108 बार मंत्र – ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः का जाप करना चाहिए , उसके बाद विधिवत संकल्पपूर्वक धूप, दीप मिष्टान्न से पूजा अर्चना करके अंगूठी को पहनना चाहिए ।
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