घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय ️ बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या ? पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं ? आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति। पितृ गण हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है , क्योंकि उन्होंने कोई ना कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है , पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स्वर्ग लोक है। आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है , वहाँ हमारे पूर्वज मिलते हैं अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं की इस अमुक आत्मा ने हमारे कुल में जन्म लेकर हमें धन्य किया इसके आगे आत्मा अपने पुण्य के आधार पर सूर्य लोक की तरफ बढती है। वहाँ से आगे , यदि और अधिक पुण्य हैं , तो आत्मा सूर्य लोक को भेज कर स्वर्ग लोक की तरफ चली जाती है , लेकिन करोड़ों में एक आध आत्मा ही ऐसी होती है , जो परमात्मा में समाहित होती है जिसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता मनुष्य लोक एवं पितृ लोक में बहुत सार...
जादू-टोना, रोचक तथ्य "आध्यात्मिक जानकारी" के साथ आपकी स्वास्थ्य समस्या का समाधान। सारी जानकारी पुरानी किताब, निजी अनुभव, हमारे अघोरी मित्र, ग्रामीण ओझा , भगत जी और इंटरनेट से ली गई है।