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Showing posts from October 24, 2021

दीपावली का पर्व

दीपावली दीपावली का पर्व मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है। कार्तिक माह की अमावस्या को समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिन्हें धन ,  वैभव ,  ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है | दीपावली को असत्य पर सत्य की और अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है| इसे दीपोत्सव भी कहते हैं| ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से प्रकाश की ओर जाइए’ कथन को सार्थक करती है दीपावली| इस बार दिवाली:  4  नवंबर , 2021,  गुरुवार को है| अमावस्या तिथि प्रारम्भ:  04  नवंबर  2021  को प्रात:  06:03  बजे से. अमावस्या तिथि समाप्त:  05  नवंबर  2021  को प्रात:  02:44  बजे तक दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम  6:09  मिनट से रात्रि  8:20  मिनट यह त्योहार  5  दिन का होता है ,जो  धनतेरस   से शुरू होकर नरक चतुर्दशी ,  मुख्य पर्व दीपावली ,  गोवर्धन पूजा से होते हुए   भाई दूज   पर समाप्त हो...

ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी

  ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी भारत में प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों का बहुत महत्त्व रहा है। ऋषि मुनि समाज के पथ प्रदर्शक माने जाते थे और वे अपने ज्ञान और साधना से हमेशा ही लोगों और समाज का कल्याण करते आये हैं। आज भी वनों में या किसी तीर्थ स्थल पर हमें कई साधु देखने को मिल जाते हैं। धर्म कर्म में हमेशा लीन रहने वाले इस समाज के लोगों को ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी आदि नामों से पुकारते हैं। ये हमेशा तपस्या, साधना, मनन के द्वारा अपने ज्ञान को परिमार्जित करते हैं। ये प्रायः भौतिक सुखों का त्याग करते हैं हालाँकि कुछ ऋषियों ने गृहस्थ जीवन भी बिताया है। आईये आज के इस पोस्ट में देखते हैं ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में कौन होते हैं और इनमे क्या अंतर है ? 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️ ऋषि कौन होते हैं? भारत हमेशा से ही ऋषियों का देश रहा है। हमारे समाज में ऋषि परंपरा का विशेष महत्त्व रहा है। आज भी हमारे समाज और परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज माने जाते हैं। ऋषि वैदिक परंपरा से लिया गया शब्द है जिसे श्रुति ग्रंथों को दर्शन करने वाले लोगों के लिए प्रयोग किया गया है। दूसरे ...