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5 तत्व और नक्षत्रों में संबंध

 ब्रम्हांड में 5 तत्व विद्यमान हैं, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। इन्हीं 5 तत्वों से ही हमारा शरीर बना हैं। ग्रह और राशियां भी इससे अछूति नहीं हैं। ज्योतिष में ग्रहों में भी 5 तत्व विद्यमान हैं परंतु 12 राशियों में 5 तत्वों की बजाय 4 तत्वो की प्रधानता दी गई है, वे हैं अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल। जबकि आकाश तत्व यानि स्पेस हम सभी में विद्यमान हैं। 



यदि यदि हमें किसी जातक को समझने का असान तरीका चाहिए तो उसकी जन्म राशि के तत्व के आधार पर हम उसे जान सकते हैं और उस अनुसार व्यवहार कर सकते हैं। क्योंकि इस प्रकार हमारे प्राचीन मनीषियों ने ज्योतिष में राशियों के साथ पंचतत्वों की व्याख्या की है। 

 पंचतत्वों का विचार और व्यवहार...

नक्षत्रों के समूह
ज्योतिष में तारों तथा नक्षत्रों के समूह या ग्रुप को राशि कहते हैं। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती हैं पृथ्वी के साथ ही अन्य मंगल, बुध, गुरू, शुक्र तथा शनि ये ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इन ग्रहों की परिक्रमा का एक अंडाकार काल्पनिक मार्ग इन ग्रहों और तारों के समूह को जोड़ता हुआ बनाया गया इसे कांतिवृत्त या जोडियेक कहते हैं। ये 360 डिग्री का हैं। इसके 12 समान भाग किए गए ये 12 राशियां और 27 समान भाग किए वो 27 नक्षत्र हुए। प्रत्येक भाग में तारों तथा नक्षत्र को मिलाकर आकाशमंडल में जो आकृति बनती हुई दिखलाई देती हैं उन्हीं के आधार पर इन राशियों के नाम निश्चित किए गए। इससे 12 राशियं बनीं।

इन 12 राशियों को 4 तत्वों में बांटा गया है। इस प्रकार तीन राशियों का एक ही तत्व होता हैं। विस्तार से उस तत्व को और राशियों को जानते हैं। 

अग्नितत्व - अग्नितत्व में मेष, सिंह तथा धनु ये राशियां आती हैं। अग्नि में सबसे प्रधान गुण होता हैं रूप। वह रूप परिवर्तन की क्षमता ही होती हैं जिससे उसमें निखार आता हैं और परिस्थितीयो को बदलने का सामर्थ्य भी अग्नितत्व में होता हैं जिस प्रकार सोने के तुकड़े को अग्नि में तपा कर ही मनचाहे आकार में परिवर्तित किया जाता हैं उसी प्रकार अग्नि तत्व प्रधान राशियो में क्रियात्मक शक्ति यानि एग्रेसिव एनर्जी अधिक होती हैं। जिसके बल पर ये बडे से बड़े कार्य भी अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर कर सकते हैं।

पृथ्वीतत्व - वृषभ, कन्या तथा मकर ये पृथ्वीतत्व राशियां हैं। पृथ्वी में हम पहले बता चुके हैं कि पांचों तत्व के गुणधर्म मौजूद होते हैं। पृथ्वी में शब्द, स्पर्श, रूप, स्वाद और गंध हैं। इसके कारण पृथ्वी तत्व के जातक में पूर्णता होती हैं। पृथ्वी में यथार्थता का अर्थात ईमानदारी का गुण होता हैं अतः पृथ्वी तत्व प्रधान राशियां पूर्ण संसारी और भौतिकता वाली होती हैं।

वायु तत्व- मिथुन, तुला और कुंभ ये वायुतत्व प्रधान राशियां हैं। वायु में परिवर्तन तथा चंचलता का गुण हैं इस कारण ये राशियां भी परिवर्तनप्रिय तथा मानसिक रूप से सबल, प्रभावशाली होती हैं प्रसिद्धि और नाम के लिए लालायित होते हैं।

जल तत्व - कर्क, वृश्चिक और मीन: ये जल तत्व प्रधान राशि हैं। पानी में ग्रहण करने की क्षमता होती है इस कारण जल तत्व वाली राशियों में आत्मविश्लेषण खोज और ग्रहण करने का विशेष गुण होता हैं। साथ ही जल में गहराई के कारण ये भावुक भी अधिक होते हैं जिसके कारण ये स्वयं के साथ ही दूसरों के दुख से भी दुखी होते हैं।

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