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आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ, विधि और नियम

सोए हुए भाग्य को चमकाने का काम करता है आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ, जानिए विधि और नियम

 

मान्यता है प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से सोई हुई किस्मत जाग जाती है। अगर रोजाना इसका पाठ संभव न हो तो सप्ताह में एक दिन रविवार को इसे जरूर करें।

ज्योतिष शास्त्र अनुसार सूर्य ग्रह व्यक्ति के जीवन में प्रसिद्धि, यश, तेज, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति का कारक ग्रह माना जाता है। जिसकी कुंडली में ये ग्रह मजबूत होता है उसे जीवन में तमाम सुख प्राप्त होते हैं। ऐसा व्यक्ति खूब नाम कमाता है। सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सबसे ज्यादा उत्तम माना गया है। कहते हैं इस स्तोत्र का प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिणाम हासिल होने लगते हैं। जानिए इस पाठ को करने की सही विधि।

आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ की विधि:
-ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली या चंदन और पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्पित करें।
-सूर्य देव को जल अर्पित करते समय गायत्री मंत्र का जाप करें और सूर्यदेव के समक्ष आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
-इस पाठ को शुक्ल पक्ष के किसी रविवार को जरूर करें।
-यदि इस पाठ का पूर्ण फल प्राप्त करना चाहते हैं तो रोजाना सूर्योदय के समय ये पाठ करें।
-अगर रोजाना ये पाठ सभव न हो तो आप प्रत्येक रविवार को भी इसे कर सकते हैं।
-आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं तो रविवार के दिन मांसाहार, मदिरा और तेल का प्रयोग न करें।

आदित्य हृदय स्तोत्र के लाभ: कहते हैं इस पाठ को करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। जिससे व्यक्ति हर काम में अच्छा प्रदर्शन कर पाता है। इस पाठ से भय दूर हो जाता है और करियर में तरक्की मिलती है। अगर कोई सरकारी विवाद चल रहा हो तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी होता है।

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