Skip to main content

गुदगुदाती है ठेठ कहावते

सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसिद्ध कहावतें और लोकोक्तियां जो हमने एकत्र की है - 

" न खेलब, न खेले देब, बस खेलिये बिगाड़ देब "

" भितरी कय मार, दहिजरू जानय " 

" जेकर भतार पुछबे न करै, ओकरे मंगिया में भर-भर सेनुर "

" सास से बैर, पतोहिया से नाता, यहीं कुल रहिबे या जइबे बिधाता "

" एक अगुआ बिन, नौ सौ जोलहा मरि गए "

" चोर की दाढ़ी में तिनका "

" पूत कपूत तो का धन संचै, पूत सपूत तो का धन संचै "

" मूसे क जन्मल, बिलीये खोदी "

" मूस मोटाइहे, तो लोढ़वे होहिहे "

" मुल्ला कय  दौड़, महजिदिये तक "

नतिनी सिखवे नानी के, नानी चलबू गौने

" नानी के आगे, ननिअउरे क बखान "

" भैंस पूछ उठाई, त गोबरे करी "

" यक साथे दुइ नाव चढ़ी, गोड़ फार पानी मे गिरी "

" सोना-सोना जे रटे, निनिआ भइल हराम

मेहनत मोती जे लुटे, सुख से करे अराम "

" बड़ी मोहानी मयभा सास कंडी लइके पोंछय आंसु "

" न नौ नगद, न तेरह उधार "

" जेकर काम, उसी को साजे और करे, तो डंडा बाजे "

" भागे भूत कय,  लंगोटिय भली "

" चमड़ी जाए, पर दमड़ी न जाए "

" बिन गोसयां के भंयिस,  पड़वा बियानी "

" जेतने कय मुर्गी नाहीं, उतने कय  मसाला "

" कहाँ कय ईंट कहाँ कय रोड़ा, भानुमती ने कुनबा फोड़ा "

" खग जाने, खगही की भाषा "

" छिनरा चुवर अउर जुवारी, इनसे सारी दुनिया हारी "

" प्रत्यक्षम किं प्रमाणं "

" नाउ भाई नाऊ भाई केतना बार, बस जजमान अगवैं गिरी "

" हड़बड़ी बियाह, कनपटिये सेनुर " 

" नोखे कय नाऊ, बांसे कय नहन्नी " 

" अहिरन साथ गड़रिया नाचै, भेड़ी खाय सियार "

" नाच ना जानै, आंगन टेडा "

" हाय मरी मोर मैया रे, उखडी लेबे की खोईया रे "

" घी कय लड्डू, टेढ़य मेंढ़य "

" काम कै ना काज कै, दुश्मन अनाज कै "

" एक ते रहलु तितलौकी, ऊपर से जा बसलु भड़भुजा के छान "

" हाथी चले बजार, कुत्ते भौके हजार "

" खाएके खाट पे, नहाए के तरकुल पे "

" न तीन में, न तेरह में, मृदंग बजावै डेरे में "

" एक तो धिया रोवनी, दुसरे अँखियों कोंचाय गय "

" पूरा गांव जरि गै, फुहरि कहै लत्ता गन्नहाय "

" बाप पदहिन ना जाने, पूत बजावे शंख "

" बतिया बाय करतुतिया नाही, मेहरी बाय घर खटिया नाही "

" बाप मरे अंधेरा में, बेटवा पावर हाउस "

" नौ सौ चूहे खाके, बिल्ली चली हज को "

" पादै कि पदबै ना करै, पादै कफ्फनवै फाट जाय "

" पईसा ना कौड़ी, बाजरिया कय दौड़ी "

" बिलारी के पेट में घी, कबंहु ना पची "

" ना तो नौ मन तेल होई, ना तो सलमा नचिहैं "

" कहै तमाकू सुन गुन मोरे, फिरै चूतिया खीस निपोरे "

" गरीबी में आटा गीला "

" अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम 

दास मलूका कह गए, सबके दाता राम। "

" बहरे लंबी लंबी धोती, घरे बने बथुआ कय रोटी "

" गुरु गुरुवै रहि गईन, चेला शक्कर होई गय "

" बेगानी शादी में,  अब्दुल्ला दीवाना "

" उल्टा चोर, कोतवाल को डांटे "

" अंधे के हाथ बटेर "

" होनहार बिरवान के, होत है चीकने पात "

" तन तोर इहवाँ , चित भूसौले "

" कोंदों देके पूत पढाये, सोलह दूनी आठ "

" कागा चला, हंस की चाल "

" न तिल भर नाता, न भईस भर व्यवहार "

" बापै पूत परापत घोड़ा, न थोड़ै त थोड़ी थोड़ा "

" मेघुची चलल ठोकावे नाल "

" आगे नाल न पीछे पगहा

खाई मोटाई के भईलल गदहा "

ओईडे गोईंड़े भईस चरावे, मेहरी के टिकुली निहार आवे 


" हग्गे के नाही, लीले के बेल 😁


" नानी से तोर मोर ,  नतनी  से नाता "

" बड़े बड़े हारि गइनै, गदहवा कहै केतना पानी "

" दुआरे पे आय बारात, तो समधिन के लाग् ह...😁

" खेत खाए गदहा, मार खाए जोलहा "

" न नौ मन काजर होइ, न राधा गौने जइहै "

अधजल गगरी, छलकत जाय, और भरल गगरिया चुपके धाय 


उखरे के........ नाही , नाम बरियार सिंह !

" जेतना धिया गवुनी ना, उतना गाल बजवुनी "

" बाप बीने कंडा, पूत संकल्पे भिटहुर "

" घर में भूजी भांग नाही, कुक्कुर पादय चूरा "

" जवन पंडित के पतरा में ना, ऊ पंडिताईन के अचरा में "

" घर की मुर्गी,  साग बराबर "

" ज़मीन विश्वा भर नाहीं, नाम पृथ्वी पाल सिंह "

" गा__ फाटय, मल्हार गावे "

" आंख कय आन्हर, नाम नयनसुख "

" यक हाथ कांकर नौ हाथ बीया, जैसन माई वैसन धीया "

" वूहय छिनार, वूहे डोली के रखवार "

" अन्हरे सियारे के, गोदवे मीठ " 

" जेकर बनरीन उहे नचावे, दूसर नचावे काटे धावे "

" मुर्गिया मुरगा थी, लेकिन पोखनवा नोचाय "

Comments

Popular posts from this blog

विजयी तिलक

  सात वार के सात विजयी तिलक ► सोमवार सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन होता है तथा इस वार का स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना गया है। मन को काब ू में रखकर मस्तिष्क को शीतल और शांत बनाए रखने के लिए आप सफेद चंदन का तिलक लगाएं। इस दिन विभूति या भस्म भी लगा सकते हैं। ► मंगलवार मंगलवार को हनुमानजी का दिन माना गया है। इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है।मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है। इससे मन की उदासी और निराशा हट जाती है और दिन शुभ बनता है। ► बुधवार बुधवार को जहां मां दुर्गा का दिन माना गया है वहीं यह भगवान गणेश का दिन भी है।इस दिन का ग्रह स्वामी है बुध ग्रह। इस दिन सूखे सिंदूर (जिसमें कोई तेल न मिला हो) का तिलक लगाना चाहिए। इस तिलक से बौद्धिक क्षमता तेज होती है और दिन शुभ रहता है। ► गुरुवार गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। बृहस्पति ऋषि देवताओं के गुरु हैं। इस दिन के खास देवता हैं ब्रह्मा। इस दिन का स्वामी ग्रह है बृहस्पति ग्रह।गुरु को पीला...

कामप्रजाळण नाच करे I कवि दुला भाई काग कृत

 कामप्रजाळण नाच करे : रचना :- कवि दुला भाई काग कृत (छंद - दुर्मिला)  परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे, भभके गण भूत भयंकर भुतळ, नाथ अधंखर ते नखते, भणके तळ अंबर बाधाय भंखर , गाजत जंगर पांह गते ; डमरुय डडंकर बाह जटंकर , शंकर ते कईलास सरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे, (1) हडडं खडडं ब्रह्मांड हले, दडडं दडदा कर डाक बजे, जळळं दंग ज्वाल कराल जरे , सचरं थडडं गण साज सजे ; कडके धरणी कडडं , हडडं मुख नाथ ग्रजंत हरे , परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(2) हदताळ मृदंग हुहूकट,हाकट धाकट धीकट नाद धरं, द्रहद्राह दिदीकट वीकट दोक्ट,कट्ट फरंगट फेर फरं ; धधडे नग धोम धधा कर धीकट,धेंकट घोर कृताळ धरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(3) नट तांडवरो भट देव घटां नट उलट गूलट धार अजं, चहँ थाक दुदूवट दूवट खेंखट,गेंगट भू कईलास ग्रजं ; तत तान त्रिपुरारि त्रेकट त्रुकट, भूलट धुहर ठेक भरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(4) सहणाई छेंछ अपार छटा,चहुथ नगारांय चोब रडे, करताल थपाट झपाट कटाकट, ढोल धमाकट मेर धडे ; उमया संग नाट गणं सरवेश्वर,ईश्वर 'थईततां,...

33 कोटि देवी देवता के नाम

  12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और इन्द्र व प्रजापति को मिलाकर कुल 33 देवता होते हैं। कुछ विद्वान इन्द्र और प्रजापति की जगह 2 अश्विनी कुमारों को रखते हैं। प्रजापति ही ब्रह्मा हैं। 12 आदित्य : 1. अंशुमान, 2. अर्यमा, 3. इन्द्र, 4. त्वष्टा, 5. धाता, 6. पर्जन्य, 7. पूषा, 8. भग, 9. मित्र, 10. वरुण, 11. विवस्वान और 12. विष्णु। 8 वसु : 1. अप, 2. ध्रुव, 3. सोम, 4. धर, 5. अनिल, 6. अनल, 7. प्रत्यूष और 8. प्रभाष। 11 रुद्र : 1. शम्भू, 2. पिनाकी, 3. गिरीश, 4. स्थाणु, 5. भर्ग, 6. भव, 7. सदाशिव, 8. शिव, 9. हर, 10. शर्व और 11. कपाली। 2 अश्विनी कुमार : 1. नासत्य और 2. दस्त्र। कुल : 12+8+11+2=33