ज्योतिष के हिसाब से 27 नक्षत्रों को तीन हिस्सों में बांटा गया है - शुभ नक्षत्र, मध्यम नक्षत्र और अशुभ नक्षत्र।
शुभ नक्षत्र
शुभ नक्षत्र वो होते हैं जिनमें किए गए सभी काम सिद्ध और सफल होते हैं।
इनमें 15 नक्षत्रों को माना जाता है :–
रोहिणी, अश्विन, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, रेवती, श्रवण, स्वाति, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढा, उत्तरा फाल्गुनी, घनिष्ठा, पुनर्वसु।
मध्यम नक्षत्र
मध्यम नक्षत्र के तहत वह नक्षत्र आते हैं जिसमें आम तौर पर कोई विशेष या बड़ा काम करना उचित नहीं, लेकिन सामान्य कामकाज के लिहाज से कोई नुकसान नहीं होता।
इनमें जो नक्षत्र आते हैं वो हैं पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठा, आर्द्रा, मूला और शतभिषा।
अशुभ नक्षत्र
अशुभ नक्षत्र में तो कभी कोई शुभ काम करना ही नहीं चाहिए। इसके हमेशा बुरे नतीजे होते हैं या कामकाज में बाधा जरूर आती है। इसके तहत जो नक्षत्र आते हैं वो हैं- भरणी, कृतिका, मघा और आश्लेषा। ये नक्षत्र आम तौर पर बड़े और विध्वंसक विस्फोट कामकाज के लिए ठीक माने जाते हैं जैसे - पहाड़ काटने के लिए विस्फोट या फिर कोई सैन्य या परमाणु परीक्षण करना आदि। लेकिन एक आम आदमी या जातक के लिए ये चारों ही नक्षत्र बेहद नुकसानदेह माने जाते हैं।
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