Skip to main content

नक्षत्र का विभाजन

 नक्षत्र का स्वभाव और गुण 

ज्योतिष में 27 नक्षत्र / सितारे है 

27 नक्षत्रों के नाम क्रमानुसार  - 1.अश्विन नक्षत्र, 2.भरणी नक्षत्र, 3.कृत्तिका नक्षत्र, 4.रोहिणी नक्षत्र, 5.मृगशिरा नक्षत्र, 6.आर्द्रा नक्षत्र, 7.पुनर्वसु नक्षत्र, 8.पुष्य नक्षत्र, 9.आश्लेषा नक्षत्र, 10.मघा नक्षत्र, 11.पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, 12.उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, 13.हस्त नक्षत्र, 14.चित्रा नक्षत्र, 15.स्वाति नक्षत्र, 16.विशाखा नक्षत्र, 17.अनुराधा नक्षत्र, 18.ज्येष्ठा नक्षत्र, 19.मूल नक्षत्र, 20.पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, 21.उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, 22.श्रवण नक्षत्र, 23.घनिष्ठा नक्षत्र, 24.शतभिषा नक्षत्र, 25.पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, 26.उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, 27.रेवती नक्षत्र।


 ज्योतिष के अनुशार नक्षत्र को अनेक भाग में विभाजित किया गया है :- 

  1. पुरुष नक्षत्र और महिला नक्षत्र
  2. देव, मनुष्य और राक्षस
  3. सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण
1. पुरुष नक्षत्र और महिला नक्षत्र
  • पुरुष नक्षत्र :- अश्विनी, भरणी, पुष्य, अश्लेषा, माघ, उत्तराफाल्गुनी, स्वाति, ज्येष्ठा, मूला, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण और पूर्वा भाद्रपद पुरुष नक्षत्र माने जाते हैं।
  • महिला नक्षत्र :- कृतिका, रोहिणी, मृगशीर्ष, आर्द्रा, पुनर्वसु, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, धनिष्ठा, शतभिषेक, उत्तर भाद्रपद और रेवती महिला नक्षत्र हैं।

2. देव, मनुष्य और राक्षस
  • देव नक्षत्र :- अश्विनी, मृगशीर्ष, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, स्वाति, अनुराधा और रेवती हैं।
  • मनुष्य नक्षत्र :- भरनी, रोहिणी, आर्द्रा, श्रवण, और पूर्वा और उत्तरा नक्षत्र हैं।
  • राक्षस नक्षत्र :- कृतिका, आश्लेषा, मघा, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूला, धनिष्ठा और शतभिषेक नक्षत्र आते हैं।
3. सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण
  • सतोगुण :-  यह मुक्ति का गुण है और भौतिकवाद और इसकी जड़ों से बहुत आगे जाने की अवधारणा को परिभाषित करता है। इसमे अंतिम नौ नक्षत्र 19.मूल नक्षत्र, 20.पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, 21.उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, 22.श्रवण नक्षत्र, 23.घनिष्ठा नक्षत्र, 24.शतभिषा नक्षत्र, 25.पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, 26.उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, 27.रेवती नक्षत्र हैं, और धनु, मकर, कुंभ और मीन राशियाँ इस गुण का निर्माण करती हैं।
  • रजोगुण :- यह ऊर्जा को दर्शाता है जिसमें दुनिया को अवतरित करने की क्षमता है। इसमें प्रथम नौ नक्षत्र 1.अश्विन नक्षत्र, 2.भरणी नक्षत्र, 3.कृत्तिका नक्षत्र, 4.रोहिणी नक्षत्र, 5.मृगशिरा नक्षत्र, 6.आर्द्रा नक्षत्र, 7.पुनर्वसु नक्षत्र, 8.पुष्य नक्षत्र, 9.आश्लेषा नक्षत्र है और प्रथम चार राशियां अर्थात मेष, वृष, मिथुन और कर्क हैं।
  • तमोगुण :-  यह उस आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है जो दुनिया में प्रवेश करती है और खुद को भौतिकता में शामिल करती है। इसमें नौ नक्षत्र  10.मघा नक्षत्र, 11.पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, 12.उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, 13.हस्त नक्षत्र, 14.चित्रा नक्षत्र, 15.स्वाति नक्षत्र, 16.विशाखा नक्षत्र, 17.अनुराधा नक्षत्र, 18.ज्येष्ठा नक्षत्र शामिल हैं। वहीं सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशियां तमस का निर्माण करती हैं।

Comments

Popular posts from this blog

रत्न क्या कर सकता है ?

  रत्न:-   सबसे पहले हम जान लेते हैं कि रत्न क्या है? काम क्या करता है?  क्या रत्न अशुभ / नीच ग्रह को शुभ कर सकता है ? रत्नों का सिर्फ काम है ग्रह की ताकत / प्रभाव को बढ़ाना ।  जो भी ग्रह है उस ग्रह की ताकत, उस ग्रह के प्रभाव को बढ़ाना। अच्छे ग्रह हैं तो अच्छे ग्रह की ताकत को बढ़ाएगा और अगर कुंडली में वह ग्रह खराब स्थिति में है तो भी वह उसके प्रभाव को बढ़ाएगा। जो ग्रह हमारे कुंडली में अच्छे भाव में है अगर हम उनके रत्न पहनते हैं तो वह उसके प्रभाव को बढ़ाएगा जो हमें फायदा देगा।  जो ग्रह हमारे कुंडली में अशुभ / नीच में है खराब है तो रत्न शुभ नहीं कर सकता है बल्कि अगर उसके रत्न धारण करेंगे तो वह रत्न उसके प्रभाव को बढ़ाएगा और नीच / अशुभ होने के कारण वह ग्रह हमें परेशान करेंगे।  रत्न हमेशा शुभ / योगकारक / कमजोर ग्रह के ही धारण करने चाहिए। जो ग्रह कुंडली में शुभ हो लेकिन उसमें बल की कमी हो तो उससे संबंधित रत्न को धारण करना चाहिए।  जो ग्रह कुंडली में शुभ हो और बलवान हो तो उसके रत्न को धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि बलवान ग्रह का रत्न धारण करने से वह अशुभ ...

कामप्रजाळण नाच करे I कवि दुला भाई काग कृत

 कामप्रजाळण नाच करे : रचना :- कवि दुला भाई काग कृत (छंद - दुर्मिला)  परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे, भभके गण भूत भयंकर भुतळ, नाथ अधंखर ते नखते, भणके तळ अंबर बाधाय भंखर , गाजत जंगर पांह गते ; डमरुय डडंकर बाह जटंकर , शंकर ते कईलास सरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे, (1) हडडं खडडं ब्रह्मांड हले, दडडं दडदा कर डाक बजे, जळळं दंग ज्वाल कराल जरे , सचरं थडडं गण साज सजे ; कडके धरणी कडडं , हडडं मुख नाथ ग्रजंत हरे , परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(2) हदताळ मृदंग हुहूकट,हाकट धाकट धीकट नाद धरं, द्रहद्राह दिदीकट वीकट दोक्ट,कट्ट फरंगट फेर फरं ; धधडे नग धोम धधा कर धीकट,धेंकट घोर कृताळ धरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(3) नट तांडवरो भट देव घटां नट उलट गूलट धार अजं, चहँ थाक दुदूवट दूवट खेंखट,गेंगट भू कईलास ग्रजं ; तत तान त्रिपुरारि त्रेकट त्रुकट, भूलट धुहर ठेक भरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(4) सहणाई छेंछ अपार छटा,चहुथ नगारांय चोब रडे, करताल थपाट झपाट कटाकट, ढोल धमाकट मेर धडे ; उमया संग नाट गणं सरवेश्वर,ईश्वर 'थईततां,...

कमजोर चंद्रमा लक्षण और उपाय

  कमजोर चंद्रमा के बुरे प्रभाव – चंद्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय पंडित और ज्ञानी लोग यह कहते हैं की आपको अपने मुख्य ग्रह और चंद्र को मजबूत करने के बारे में सोचना चाहिए साथ ही अपने इष्ट देव या देवी की नियमित आराधना करनी चाहिए ताकि आपका जीवन चिंता मुक्त और ख़ुशी से बीते| यहाँ आज हम आपको चंद्र ग्रह को शांत करने और मजबूत बनाने के लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं| जहाँ एक और चंद्र की कृपा आपका जीवन खुशियों से भर सकता है वही इस ग्रह के कमजोर होने पर आपके जीवें में विपरीत प्रभाव पड़ते हैं आइये पहले जानते हैं की कमजोर चंद्र के दुश प्रभाव क्या हो सकते हैं और अगले भाग में चर्चा करेंगे की चन्द्रमा को मजबूत कैसे करे| कैसे होता चन्द्र खराब?: * घर का वायव्य कोण दूषित होने पर भी चन्द्र खराब हो जाता है।  * घर में जल का स्थान-दिशा यदि दूषित है तो भी चन्द्र मंदा फल देता है।  * पूर्वजों का अपमान करने और श्राद्ध कर्म नहीं करने से भी चन्द्र दूषित हो जाता है।  * माता का अपमान करने या उससे विवाद करने पर चन्द्र अशुभ प्रभाव देने लगता है।  * शरीर में जल यदि दूषित हो गया है तो भी चन्द्र का अ...