-: जीरा के फायदे और औषधीय गुण :-
आप सब्जी
खाते हैं,
तो जीरा के बारे में जरूर जानते होंगे। जब भी कोई सब्जी बनाई जाती
है, तो सबसे पहले जीरा का छौंक ही लगाया जाता है। जीरा का
प्रयोग सब्जी में किया जाता है। जीरा के प्रयोग से कई बीमारियों का उपचार भी किया
जा सकता है।
आयुर्वेद
में जीरा को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि बताया गया है, और यह भी
बताया गया है कि, कैसे जीरा का सेवन कर अनेक रोगों की रोकथाम
करने में मदद मिल सकती है।
जीरा क्या है?
जीरा
एक मसाला है। आयुर्वेद के अनुसार, जीरा तीन तरह का होता है :-
काला
जीरा
सफेद
जीरा
अरण्य
जीरा (जंगली जीरा)
सफेद
जीरा से सभी लोग परिचित हैं, क्योंकि इसका प्रयोग मसाले के
रूप में किया जाता है।
-: जीरा के फायदे और उपयोग:-
मुंह से बदबू आने पर जीरा का प्रयोग :-
जीरा,
तथा सेंधा नमक के चूर्ण का दिन में दो बार सेवन करें। इससे मुंह से आने वाली बदबू ठीक होती है।
मतली और उल्टी में जीरा के प्रयोग से फायदा :-
मतली,
और उल्टी की परेशानी में जीरे को रेशमी कपड़े में लपेट लें। इसकी बत्ती बना लें, और इसका धुआं नाक में सूंघें। इससे फायदा होता है।
सौवर्चल
नमक,
जीरा, शर्करा, तथा मरिच का बराबर-बराबर भाग (2 ग्राम) का चूर्ण बना लें। इसमें 4 ग्राम मधु मिलाकर,
दिन में 3-4 बार सेवन करें। इससे मतली,
और उल्टी रुकती है।
मुंह के रोग में जीरा :- मुंह की बीमारी में 5 ग्राम
जीरे को पीसकर जल में मिला लें। इस जल में चंदन का
चूर्ण, 2½ ग्राम इलायची, एवं 2½ फूली हुई फिटकरी का चूर्ण भी मिला लें। इसे
छान लें। इस जल से कुल्ला करने से मुंह के रोगों में लाभ होता है।
खट्टी डकार :- कुछ भी उल्टा-सीधा खाने पर खट्टी डकार होना
बहुत ही आम बात है। खट्टी डकार होने पर 200 मिली जल में 50
मिली जीरा डालकर काढ़ा बना लें। इसे गर्म करें। जब काढ़ा 50 मिली रह जाए, तो उतारकर छान लें। इसमें काली मिर्च
का चूर्ण 4 ग्राम, नमक 4 ग्राम डालकर पिएं। इससे खट्टी डकार आनी बंद हो जाती है। इसके साथ ही मल
त्याग करने में परेशानी नहीं होती है।
जूं (लीख) :- जूं या लिख से बहुत लोग परेशान रहते हैं।
खासकर महिलाएं जूं से अधिक परेशान रहती हैं। जूं से निजात पाने के लिए जीरा बीज के
चूर्ण लें। इसे निम्बू के रस
के साथ मिलाकर सिर पर लेप करें। इससे जूं मर जाती है।
हिचकी :- हिचकी की परेशानी में 5 ग्राम
जीरा को घी में मिला लें, और उसे चिलम में डालकर धूम्रपान
करें। इससे हिचकी बंद हो जाती है।
एसिडिटी :- एसिडिटी एक आम
परेशानी है। अगर आप भी एसिडिटी से परेशान हैं, तो जीरा,
और धनिया के 120
ग्राम पेस्ट को 750 ग्राम घी में पकाएं। इसे रोज 10-15 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे एसिडिटी के साथ-साथ पुरानी कफ की
समस्या, पित्त की बीमारी,
तथा भूख की कमी ठीक होती है।
भूख बढ़ाने के लिए :- जीरा का इस्तेमाल कई बार
बीमार हो जाने पर, या फिर अन्य कारणों से भूख
की कमी हो जाती है। ऐसे में 3 ग्राम जीरे को 3 मिली नीबूं के रस में भिगो लें। इसमें 3 ग्राम नमक
मिलाकर सेवन करें। इससे भूख बढ़ती है।
गाय
के दूध में 5 ग्राम जीरे को
भिगोकर सुखा लें। इसका चूर्ण बना लें, और इसमें मिश्री मिला
लें। इसे दिन में तीन बार खाएँ। इससे शारीरिक कमजोरी
दूर होती है, और गंभीर बुखार में
आराम मिलता है।
अपच :- जीरे, और धनिये के पेस्ट से पकाए हुए घी को
सुबह-शाम भोजन से आधा घण्टा पहले सेवन करें। इससे अपच और वात-पित्त दोष में लाभ होता है।
पेट में कीड़े होने पर जीरा के प्रयोग से लाभ पेट में कीड़े हो जाने पर भी जीरा का सेवन फायदेमंद होता है। इसके लिए 2-4
ग्राम जीरा बीज के चूर्ण को एरण्ड तेल के साथ मिला लें। इसका सेवन करने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
इसी
तरह 15
ग्राम जीरे को 400 मिली पानी में उबालें। जब
काढ़ा एक चौथाई बच जाए, तो इसे 20-40 मिली
मात्रा में सुबह-शाम पिएं। इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं।
दांतों के रोग :- दांतों के रोग सभी को हो सकते हैं। अगर आपको
भी दांत में दर्द की परेशानी है, तो जीरा के इस्तेमाल से लाभ हो सकता
है। काले जीरे का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांतों के दर्द से राहत मिलती है।
नाक से खून बहने पर :- जीरा के पत्ते के रस को 1-2 बूंद नाक में डालें। इससे नाक से बहने वाला
खून बंद हो जाता है।
दस्त :- दस्त में भी जीरा का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता है। अगर किसी को दस्त हो रहा है, तो उसे 5 ग्राम जीरे को भूनकर पीस लेना है। इसे दही, या दही की लस्सी में मिलाकर सेवन करना है। दस्त में लाभ होता है।
बच्चे प्रायः दस्त से परेशान रहते हैं। जीरा का प्रयोग इसमें भी बहुत लाभदायक होता है। इसके लिए जीरे को भूनकर, पीस लें। इसे एक चम्मच जल में घोलकर, दिन में दो-तीन बार पिलाएं। बच्चों को दस्त में फायदा होता है।
भुना
हुआ जीरा,
कच्ची, तथा भुनी
हुई सौंफ को बराबर मिला लें। इसे एक-एक चम्मच की मात्रा
में दो, या तीन घण्टे के बाद ताजे पानी के साथ सेवन करें।
इससे मरोड़ के साथ होने वाला दस्त ठीक हो जाता है।
स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए :- ऐसी समस्या में जीरे को घी में भूनकर आटे
में मिला लें, और लड्डू बना लें। इसे
खाएं। इससे दूध अधिक होता है।
घी
में जीरा को सेक लें। दाल में इस जीरे की कुछ अधिक मात्रा डालकर खाएं। इससे माताओं
के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
जीरे
को घी में भूनकर हलुआ बनाकर खिलाने से भी दूध में वृद्धि होती है।
इसके
अलावा,
बराबर-बराबर मात्रा में सौंफ, सौवर्चल, तथा जीरा के चूर्ण को छाछ के साथ नियमित
रूप से सेवन करें। इससे भी फायदा होता है।
10-20
मिली जीरा के काढ़ा को मधु, तथा दूध में मिला
लें। इसे गर्भावस्था की शुरुआती अवस्था में महिलाओं को लेना चाहिए। दिन में एक बार
लेने से गर्भवती महिलाएं, और गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य सही
रहता है।
गर्भाशय
की सूजन में :-
कई महिलाएं गर्भाश्य की सूजन से परेशानी रहती हैं। ऐसे में जीरा का
प्रयोग फायदेमंद हो सकता है। काले जीरे का काढ़ा बना लें, और
इस काढ़ा में महिला को बिठाएं। इससे गर्भाशय की सूजन में लाभ होता है। आप काला
जीरा के स्थान पर, सफेद जीरा को भी उपयोग में ला सकती हैं।
मलेरिया :- मलेरिया बुखार के लिए करेले के 10 मिली रस में,
जीरे का 5 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे दिन में
तीन बार पिलाने से लाभ होता है।
4
ग्राम जीरा के चूर्ण को, गुड़ में मिलाकर खाने
से 1 घण्टा पहले लें। इससे मलेरिया और वात रोग ठीक होते हैं।
ल्यूकोरिया :- बहुत सारी महिलाएं ल्यूकोरिया से ग्रस्त रहती
हैं। इस बीमारी में जीरा का सेवन करने से आराम मिलता है। इसके लिए 5 ग्राम जीरा के चूर्ण, और मिश्री के 10 ग्राम चूर्ण को मिला लें। इसे चावल के पानी के साथ सुबह और शाम सेवन करें।
इससे फायदा होता है।
आंखों के रोग में :- 7 ग्राम काले जीरे को आधा लीटर खौलते हुए जल
में डालकर काढ़ा बना लें। इस पानी से आंखों को धोने से, आंखों
से पानी बहना बंद हो जाता है। काले जीरे के स्थान पर सफेद जीरा भी ले सकते हैं।
7 ग्राम काले जीरे को आधा लीटर खौलते हुए जल में डालकर काढ़ा बना लें। इस
पानी से आंखों को धोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। काले जीरे के स्थान पर सफेद
जीरा भी ले सकते हैं।
रतौंधी :- जीरा, आंवला, तथा कपास के पत्तों को ठंडे पानी में पीस लें। इसे सिर पर 21 दिन
तक बांधें। इससे रतौंधी में लाभ होता है।
मूत्र रोग में :- शयामले जीरा का काढ़ा बना लें। इसमें 10-30
मिली मिश्री मिलाकर पीने से मूत्र रोग में लाभ होता है।
बवासीर :- बवासीर में जीरा का औषधीय
प्रयोग बवासीर में जब गुदा बाहर आकर सूज जाएं, तब काले जीरे
को पानी में उबाल लें। इस पानी से मस्से को सेकें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
इसी
तरह 5
ग्राम सफेद जीरे को पानी में उबाल लें। जब पानी एक चौथाई बच जाए,
तो उसमें मिश्री मिलाकर सुबह और शाम पिएं। इससे बवासीर में होने
वाला दर्द, और सूजन ठीक होता है।
श्यामले
रंग वाले जीरे को पानी में पीसकर, बवासीर के मस्सों पर लेप करें।
इससे भी बवासीर में लाभ होता है।
विष उतारने के लिए :-
मकड़ी :-
सोंठ और जीरे को पानी के साथ पीसकर लगाने से मकड़ी का विष उतरता है।
कुत्ते :-
4 ग्राम जीरा, और 4 ग्राम काली मिर्च को घोंटकर, छान लें। इसे सुबह और शाम पिलाने से कुत्ते के विष में लाभ मिलता है।
बिच्छू :- जीरे, और नमक को पीसकर घी, और शहद में मिला लें। इसे थोड़ा-सा गर्म कर लें। इसे बिच्छू के डंक वाले स्थान पर लगाएं।
जीरा में घी, एवं सेंधा नमक मिला कर पीस लें। इसे बहुत महीन पेस्ट बना कर, थोड़ा गर्म कर लें। इसे बिच्छू के काटने वाले स्थान पर लेप करें। इससे दर्द में आराम मिलता है।
Comments
Post a Comment