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मरिच

मरिच का परिचय (Introduction of Black Pepper) भारत में ऐसा कोई घर नहीं होगा जहाँ काली मरिच का प्रयोग नहीं होता हो। यह मसालों (Spice) की रानी मानी जाती है। चाहे हम कोई भी सब्जी बनाएं। सब्जी सूखी हो या रसेदार या फिर नमकीन से लेकर सूप आदि तक, हरेक व्यंजन में काली मरिच का प्रयोग जरूर होता है। भोजन में काली मरिच का इस्तेमाल (kali mirch uses)केवल स्वाद के लिए नहीं किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक (Black Pepper Health Benefits) है। काली मरिच एक अच्छी औषधि भी है। लंबे समय से आयुर्वेद में इसका औषधीय प्रयोग होता रहा है। वास्तव में काली मरिच के औषधीय गुणों के कारण ही इसे भोजन में शामिल किया जाता है। काली मरिच का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।

काली मरिच के काफी अधिक औषधीय लाभ हैं। यह वात और कफ को नष्ट करती है और कफ तथा वायु को निकालती है। यह भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, लीवर को स्वस्थ बनाती है और दर्द तथा पेट के कीड़ों को खत्म करती है। यह पेशाब बढ़ाती है और दमे को नष्ट करती है। तीखा और गरम होने के कारण यह मुँह में लार पैदा करती है और शरीर के समस्त स्रोतों से मलों को बाहर निकाल कर स्रोतों को शुद्ध करती है। इसे प्रमाथी द्रव्यों में प्रधान माना गया है। आइए जानते हैं कि आप बीमारियों को ठीक करने के लिए काली मरिच का उपयोग कैसे कर सकते हैं।

क्या है काली मरिच
काली मरिच (Marich Herb) एक औषधीय मसाला (Spice) है। इसे काली मिर्च (gol mirch)भी कहते हैं। यह दिखने में थोड़ी छोटी, गोल और काले रंग की होती है। इसका स्वाद काफी तीखा होता है। इसकी लता बहुत समय तक जीवित रहने वाली होती है। यह पान के जैसे पत्तों वाली, बहुत तेजी से फैलने वाली और कोमल लता होती है। इसकी लता मजबूत सहारे से लिपट कर ऊपर बढ़ती है।

काली मरिच के औषधीय प्रयोग से लाभ
काली मरिच का भोजन में प्रयोग करने से भी आपको बहुत लाभ मिलता है। उदाहरण के लिए, ठंड के दिनों में बनाए जाने वाले सभी पकवानों में काली मिर्च का उपयोग किया जाता है ताकि ठंड और गले की बीमारियों से रक्षा हो सके। काली मरिच नपुंसकता, रजोरोध यानी मासिक धर्म के न आने, चर्म रोग, बुखार तथा कुष्ठ रोग आदि में लाभकारी है। आँखों के लिए यह विशेष हितकारी होती है। जोड़ों का दर्द, गठिया, लकवा एवं खुजली आदि में काली मरिच में पकाए तेल की मालिश करने से बहुत लाभ होता है।

विभिन्न रोगों में इसका उपयोग करने की विधि यहाँ प्रस्तुत हैः-
सिर दर्द दूर करे काली मरिच का सेवन
एक काली मरिच (Marich Herb) को सुई की नोंक पर लगाकर उसे दीपक में जला लें। उसमें से निकलने वाले धुएं को सूंघने से सिरदर्द में आराम होता है। इससे हिचकी भी बंद होती है। सिर दर्द में काली मिर्च के फायदे बहुत लाभकारी साबित होते हैं।
भृंगराज के रस अथवा चावलों के पानी के साथ काली मरिच को पीसकर माथे पर लेप करने से आधासीसी का दर्द यानी माइग्रेन भी ठीक होता है।

सिर के जुंए (डैंड्रफ या रूसी) भगाए काली मरिच का प्रयोग
बालों में जूँ हो जाने पर 10-12 सीताफल के बीज और 5-6 काली मिर्चों (black pepper in hindi) को पीस कर सरसों के तेल में मिला लें। इसे रात में सोने से पहले बालों की जड़ों में लगा लें। सुबह बाल धोकर साफ कर लें। जूं नष्ट हो जाएगी।
सिर के बाल यदि झड़तें हो तो काली मरिच को प्याज व नमक के साथ पीसकर लगाने से लाभ होता है।

खाँसी-जुकाम दूर करे काली मरिच का सेवन
काली मरिच के 2 ग्राम चूर्ण को गर्म दूध तथा मिश्री के साथ पी लेने अथवा इसके 7 दाने निगलने से जुकाम तथा खाँसी में लाभ होता है।
50 ग्राम दही, 15-20 ग्राम गुड़ और एक-डेढ़ ग्राम काली मरिच चूर्ण (Marich Herb) को मिला लें। इसे दिन में 3-4 बार सेवन करने से जुकाम में लाभ होता है।

आँखों की बीमारी में फायदेमंद काली मरिच का उपयोग
• काली मरिच (black pepper in hindi)को दही के साथ पीसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी में लाभ होता है। इसे अत्यन्त सावधानीपूर्वक बाहर-बाहर ही लगाएं। • आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए रोजाना सुबह आधा से 1 ग्राम तक काली-मरिच में 1 चम्मच घी तथा आवश्यकतानुसार मिश्री मिलाकर चाटें। बाद में दूध पीएं। इससे आंखों की बीमारी में लाभ होता है।
• आँखों की पलकों पर अगर फुंसी हो जाए तो काली मरिच को पानी में घिसकर लेप करने से फुंसी पककर फूट जाती है।
• काली मरिच के आधे ग्राम चूर्ण को एक चम्मच देशी घी में मिलाकर खाने से अनेक प्रकार के नेत्र रोगों का खात्मा होता है।

दांत दर्द में आराम दिलाये काली मरिच का इस्तेमाल
• काली मरिच ग्राम चूर्ण को 3-4 जामुन या अमरूद के पत्तों या पोस्तदानों के साथ पीस लें। इससे कुल्ला करने से दांत दर्द ठीक होता है।
• गले के रोग व आवाज बैठ जाने पर भी यह प्रयोग लाभप्रद है।
• सेंधा नमक, काली मरिच, शहद तथा नींबू के रस को मिला कर तालू पर लेप करने से मुँह के छाले में लाभ होता है।

काली मरिच का सेवन से दमा-खाँसी का इलाज
• 2-3 ग्राम काली मरिच चूर्ण को शहद और घी (असमान मात्रा में) में मिला लें। इसे सुबह-शाम चाटने से सर्दी, सामान्य खाँसी, दमा और सीने का दर्द मिटता है। इससे फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है।
• 200 मिली गाय के दूध में 2 ग्राम काली मरिच चूर्ण को पकाकर पिलाने से दमा-खाँसी में लाभ होता है।
• यदि खाँसी बार-बार उठती हो, भोजन निगलने में कष्ट हो तो दिन में 2-3 बार काली मिर्च के हल्के काढ़े से कुल्ला करें।
• काली मरिच चूर्ण 2 भाग, पीपली चूर्ण 2 भाग, अनार की छाल 4 भाग तथा जौ एक भाग का चूर्ण बना लें। इसमें 8 भाग गुड़ मिलाकर 1-1 ग्राम की गोलियाँ बना लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से गले का दर्द (कष्टदायक खाँसी) में लाभ होता है।
• गले की खराश व खाँसी में 2-3 काली मरिच मुंह में रखकर चूसने मात्र से लाभ होता है।

दस्त रोकने के लिए करें काली मरिच का प्रयोग
• एक भाग काली मरिच की चूर्ण तथा एक भाग भुनी हींग को अच्छी तरह खरल कर लें। इसमें दो भाग शुद्ध देशी कपूर मिलाकर 125 मि.ग्राम की गोलियाँ बना लें। इसे आधे घंटे के अंतर से 1-1 गोली देने से हैजे की शुरुआती अवस्था में लाभ होता है।
• काली मरिच की चूर्ण 1 ग्राम तथा भुनी हींग 1 ग्राम को अच्छी तरह खरल कर लें। इसमें 3 ग्राम अफीम मिलाकर शहद में घोटकर 12 गोलियाँ बना लें। कर 1-1 गोली 1 घंटे के अंतर से दें। बहुत समय तक न दें। इससे पेचिश में भी अत्यन्त लाभ होता है। अफीम मिले होने के कारण इसका प्रयोग सावधानी से करें।
• काली मरिच चूर्ण 1/2 ग्राम, हींग 1/4 ग्राम तथा अफीम 100 मिग्रा को मिला लें। इसे जल या शहद के साथ सुबह, दोपहर तथा सायं सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।

पेट के रोगों में फायदेमंद काली मरिच का उपयोग
• 2-3 ग्राम काली मरिच चूर्ण को 1 कप छाछ के साथ सुबह खाली पेट लेने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
• 8-10 काली मरिच (black pepper in hindi) को 5-7 ग्राम शिरीष के पत्तों के साथ पीसकर छान लें। इसे पीने से गैस के कारण होने वाले पेट दर्द और पेट फूलने में आराम मिलता है।
• एक कप पानी में आधा नींबू निचोड़ लें। इसमें 5-6 काली मरिच का चूर्ण मिलाकर भोजन के बाद सुबह-शाम पीने से पैट की गैस, भूख का घटना-बढ़ना आदि में लाभ होता है।
• काली मरिच के चूर्ण के साथ बराबर भाग सोंठ, पीपली, जीरा और सेंधा नमक मिला लें। 1-1 ग्राम की मात्रा में, भोजन के बाद गर्म जल के साथ लेने से अपच तथा बदहजमी में लाभ होता है।
• काली मरिच, सोंठ, पीपल तथा हरड़ चूर्ण मिलाकर शहद के साथ देने से अथवा इसके काढ़े को पीने से अपच तथा पैट की गैस में लाभ होता है।

काली मरिच के सेवन से बवासीर में फायदा
• दो ग्राम काली मरिच चूर्ण, 1 ग्राम भुना जीरा, 15 ग्राम शहद या शक्कर को मिला लें। दो बार छाछ के साथ या गर्म जल के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
• काली मरिच चूर्ण 25 ग्राम, भुना जीरा चूर्ण 35 ग्राम और शुद्ध शहद 180 ग्राम को मिला लें। इसे अवलेह (चटनी) बनाकर रखें। इस अवलेह को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
• काली मरिच (Marich Herb) और जीरे के मिश्रण में सेंधा नमक मिला लें। इसे दिन में दो बार छाछ के साथ 3-4 मास तक सेवन करते रहने से बवासीर में आराम मिलता है। इससे कमजोरी या वृद्धावस्था के कारण हुए बवासीर या गुदभ्रंश (काँच निकलना) ठीक होते हैं। इससे पाचन व जठराग्नि ठीक रहती है। कब्ज और पैट की गैस में भी यह प्रयोग लाभप्रद है।
• एक ग्राम काली मरिच चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार प्रयोग करें। इससे गुदा का बाहर निकलना बंद हो जाता है।

मूत्र रोग (पेशाब संबंधी बीमारी) में फायदेमंद मरिच का इस्तेाल एक ग्राम काली मरिच और बराबर मात्रा में खीरा या ककड़ी के बीज को 10-15 मिली पानी के साथ पीस लें। इसमें मिश्री मिलाकर छानकर पिलाएं। इससे पेशाब में जलन तथा पेशाब में दर्द आदि की परेशानी में लाभ होता है।
नपुंसकता दूर करे काली मरिच का सेवन
एक गिलास दूध में 8-10 काली मरिच को डाल लें। इसे अच्छी तरह उबालकर, सुबह-शाम नियमपूर्वक सेवन करने से वीर्य विकार ठीक होता है। गर्मी के मौसम में मात्रा कम की जा सकती है।

घाव सुखाने के लिए करें मरिच का उपयोग
काली मरिच को पानी में पीसकर फोड़े-फुंसियों व सूजन पर लेप करने से घाव सुख जाता है। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं और सूजन दूर होती है।

हिस्टीरिया में फायदेमद मरिच का प्रयोग
3 ग्राम वच चूर्ण में 1 ग्राम काली मरिच का चूर्ण मिला लें। इसे खट्टी दही के साथ सुबह खाली पेट सेवन करने से हिस्टीरिया में लाभ होता है।

चेहरे के लकवा में लाभकारी है मरिच का प्रयोग
अर्दित रोग यानी फेशियल पैरालिसिस में चेहरे के अंगों में लकवा मार देता है। यदि जीभ में जकड़न हो तो मरिच के चूर्ण को जीभ पर घिसने से लाभ होता है।
काली मरिच चूर्ण को किसी भी वातशामक तेल में मिला लें। इसे लकवाग्रस्त अंग पर मालिश करने से बहुत लाभ होता है। काली मिर्च खाने के फायदे चेहरे पर लकवा मारने में बहुत फायदेमंद होता है।

कमजोरी दूर कर शारीरिक ताकत बढ़ाए काली मरिच का सेवन
कमजोरी आलस्य, उदासीनता आदि दूर करने के लिए काली मरिच के 4-5 दाने, सोंठ, दालचीनी, लौंग और इलायची थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिला लें। इसे चाय की तरह उबाल लें। इसमें दूध और शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता है। कमजोरी दूर करने में काली मिर्च के औषधीय गुण बहुत फायदेमंद साबित होते हैं।

बुखार उतारे काली मरिच का प्रयोग
• 1-3 ग्राम काली मरिच चूर्ण में आधा लीटर पानी और 20 ग्राम मिश्री मिलाकर आठवाँ भाग शेष रहने तक उबाल कर काढ़ा बना लें। इसे सुबह, दोपहर तथा शाम पिलाने से साधारण बुखार यानी वायरल फीवर में लाभ होता है।
• 5 दाने काली मरिच, अजवायन एक ग्राम और हरी गिलोय 10 ग्राम, सबको 250 मिली पानी में पीस, छानकर पिलाने से तेज बुखार में लाभ होता है।
• एक ग्राम काली मरिच चूर्ण (Marich Herb)को शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से गैस के कारण होने वाला बुखार तथा पेट दर्द दूर होता है ।

शरीर का पोषण बढ़ाने में फायदेमंद काली मरिच
कालीमिर्च में आयुर्वेद के अनुसार ऐसे गुण होते है जो कि शरीर के पोषण को बढ़ावा देते है विशेष रूप से दीपन का गुण जो कि पाचकाग्नि का बढ़ा कर शरीर को पोषण देने में मदद कर करता है।

वजन कम करने में फायदेमंद काली मरिच
अगर आप बढ़े हुए वजन से परेशान है तो, कालीमिर्च का सेवन आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है। क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार कालीमिर्च में पाये जाने वाला एक तत्व चर्बी यानि फैट को कम करने में मदद करता है।

गठिया का दर्द कम करे काली मरिच का औषधीय गुण
गठिया दर्द को कम करने में कालीमिर्च एक अच्छा उपाय है, क्योंकि कालीमिर्च में आयुर्वेद के अनुसार वात को कम करने का गुण होता है। जिसके वजह से गठिया का दर्द को कम होने में मदद मिलती है। आयुर्वेद में गठिया को वात प्रधान रोग माना जाता है।

कैंसर के इलाज में काली मरिच फायदेमंद
कालीमिर्च का सेवन कैंसर को फैलने से रोकने में आपकी मदद कर सकता है, क्योंकि कालीमिर्च में एंटी- कैंसर का गुण पाया जाता है जो कि कैंसर को फैलने से रोकने में मदद करता है।
अवसाद या डिप्रेशन को कम करने में उपयोगी काली मरिच का सेवन
कालीमिर्च का सेवन आपको डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है क्योंकि रिसर्च के अनुसार इसमें पाये जाने वाले एल्कलॉइड में एंटी -डिप्रेशन का गुण पाया जाता है।
औषधि के रूप में काली मरिच का इस्तेमाल से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।
काली मरिच से नुकसान
इन रोगों की अवस्था में काली मरिच का उपयोग नहीं करना चाहिएः-
• घाव
• एसिडिटी
• खूनी बवासीर
• गर्भावस्था की अवस्था
काली मरिच के कारण ही एक समय भारत विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति था।

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