आत्मा क्या है ?
क्या आपके मन में कभीं ये सवाल आया है? आया तो होगा, परन्तु इसका जबाब हमें संतुष्ट नहीं कर पता है | शायद ये जबाब आपको संतुष्ट करने में मदद करे
क्या आप जानते है, ऊर्जा क्या है ? जरुर जानते होंगे, है ना ! यकीन मनिये जिस दिन आप ऊर्जा कि परिभाषा जान गए उस दिन इस सवाल का जवाब भी समझ में आ जायगा |
आत्मा :-
आत्मा को ऊर्जा का रुप मान सकते हैं जो शरीर से दूर होने पर अस्तित्व प्राप्त करती है।
आत्मा एक ऐसी ऊर्जा है जो शरीर में प्रवेश करती है और समय आने पर उस शरीर को छोड़कर चली जाती है|
और ऊर्जा
“ आत्मा को ना तो पैदा किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है, आत्मा का केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण होता है।”
“ ऊर्जा को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है, ऊर्जा का केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण किया जा सकता है।”
आत्मा को संचालित चेतना करती है, और ऊर्जा का चेतना से कोई संबध नहीं है | बस यही एक अंतर आत्मा और ऊर्जा को अलग करती है, जिससे आधुनिक विज्ञान समझ नहीं पाता है|
आत्मा और शरीर
आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं- जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा।
जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं।
भौतिक शरीर का त्याग करने पर वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं।
यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में
प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं।
आत्मा के प्रत्येक जन्म द्वारा प्राप्त जीव रूप को योनि कहते हैं।
ऐसी 84 लाख योनियां हैं जो निम्नानुसार मानी गई हैं-
पेड़-पौधे- 30 लाख,
कीड़े-मकौड़े- 27 लाख,
पक्षी- 14 लाख,
पानी के जीव-जंतु- 9 लाख,
देवता, मनुष्य,
पशु- 4 लाख,
कुल योनियां- 84 लाख।
84 लाख योनियों में भटकने के बाद जीवात्मा मनुष्य जन्म पाती है।
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